इसकी स्क्रूटनी भी हो गयी है, लेकिन अंतिम समय में सभी आवेदनों पर वरीयता क्रम बैठाने का हवाला दे कर उसे रोक दिया गया. इसकी वजह से वेतनमान वाले शिक्षकों के जो पद भी 31 मार्च तक रिक्त हुए थे, वह भी समाप्त हो गये. शिक्षा विभाग के अधिकारी मई महीने में भी तबादला होने की संभावना से इनकार कर रहे हैं. अब जून से पहले इन शिक्षकों के तबादले की उम्मीद कम है.
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34,540 कोटि वाले शिक्षकों का तबादला अधर में
पटना: सूबे के 34,540 कोटि के वेतनमान वाले शिक्षकों का तबादला अधर में लटक गया है. तबादले की प्रक्रिया जनवरी 2015 से ही शुरू की गयी थी और सात फरवरी तक आवेदन लिये गये थे. 31 मार्च से पहले इन शिक्षकों का तबादला भी कर देना था, अब अप्रैल का महीना भी खत्म हो चुका […]
पटना: सूबे के 34,540 कोटि के वेतनमान वाले शिक्षकों का तबादला अधर में लटक गया है. तबादले की प्रक्रिया जनवरी 2015 से ही शुरू की गयी थी और सात फरवरी तक आवेदन लिये गये थे. 31 मार्च से पहले इन शिक्षकों का तबादला भी कर देना था, अब अप्रैल का महीना भी खत्म हो चुका है, लेकिन तबादला नहीं हो सका. तबादले के लिए 34,540 कोटि के करीब आठ हजार शिक्षकों ने एक जिला से दूसरे जिला जाने के लिए आवेदन दिया है.
एक जिला से दूसरे जिला तबादले के लिए आठ हजार आवेदन आये. इसमें पटना आने के लिए ही करीब एक हजार आवेदन आये, जबकि पटना से दूसरे जिलों में जाने वाले शिक्षकों की संख्या दो सौ से भी कम है. ऐसे में बाकि आवेदनों को वेटिंग लिस्ट में रखा जायेगा और जैसे-जैसे सीटें खाली होंगी उनका तबादला किया जायेगा.
कई शिक्षकों ने आवेदन करते समय एक से तीन जिले का ऑप्शन भी दिया था. जिन शिक्षकों का ऑप्शन एक या ऑप्शन दो जिले में तबादला नहीं हुआ और ऑप्शन थ्री जिले के तबादला हो जाता है तो उन्हें वहां ज्वाइन करने के लिए जाना होगा. इसके बाद वह अगले पांच सालों तक वहीं रहेंगे और वह तबादले का फायदा पांच सालों बाद ही उठा सकेंगे.
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