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चेक भुगतान में किसकी गलती!

पटना: जिला योजना कार्यालय के चेक से हुई 3.56 करोड़ रुपये की सरकारी राशि की फर्जी निकासी मामले में न तो जिला प्रशासन और न ही बैंक प्रबंधन अपनी गलती मान रहा है. प्रशासन जहां इस मामले में अब तक बैंक प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उनके ऊपर आरोप मढ़ता रहा, वहीं बैंक […]

पटना: जिला योजना कार्यालय के चेक से हुई 3.56 करोड़ रुपये की सरकारी राशि की फर्जी निकासी मामले में न तो जिला प्रशासन और न ही बैंक प्रबंधन अपनी गलती मान रहा है. प्रशासन जहां इस मामले में अब तक बैंक प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उनके ऊपर आरोप मढ़ता रहा, वहीं बैंक प्रबंधन चूक के लिए पूरी तरह प्रशासन को जिम्मेवार ठहरा रहा है. इन दोनों की खींचतान में आम जनता की करोड़ों रुपये की गाढ़ी कमाई जालसाज हड़प चुके हैं.
एक चेक के महज 51.55 लाख वापस : तीन चेक से गबन हुए 3.56 करोड़ रुपये में से भारी दबाव पड़ने पर सिर्फ आंध्र बैंक की चेन्नई शाखा से निर्गत एक चेक के 1.51 करोड़ रुपये में 51.55 लाख रुपये की ही वापसी संभव हुई है. राशि आंध्र बैंक ने जिला शहरी विकास अभिकरण के खाते में 29 मई 2014 को जमा करायी. हालांकि बैंक ने 1.51 करोड़ रुपये में सिर्फ 51.55 लाख रुपये ही क्यों वापस किये. इस संबंध में कोई भी स्पष्ट जवाब देने को तैयार नहीं है. बैंक के मुख्य प्रबंधक वी गुरु सुब्रह्मणयम ने चिट्ठी में कहा कि शेष राशि जांच एजेंसी द्वारा जांच पूरी कर केस समाप्त होने के बाद ही लौटायी जायेगी.
बैंक प्रबंधक ने दिया था बयान : बैंक ऑफ बड़ौदा की धनबाद शाखा से दूसरे चेक से हुई निकासी मामले में बैंक के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक सुभाष चंद्र चौरसिया ने न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था. उन्होंने स्वीकार किया था कि उनके पास 1.02 करोड़ रुपये का चेक 25 सितंबर 2013 को क्लियरेंस के लिए मिला. इस चेक पर डीएम सह चेयरमैन डॉ एन सरवण कुमार का हस्ताक्षर हू-ब-हू था. बड़ी रकम को देखते हुए उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा की पटना सिटी शाखा से वरिष्ठ शाखा प्रबंधक से फोन पर बात की और उनकी स्वीकृति मिलने पर ही राशि रिलीज की.

दूसरे चेकों की तरफ यह चेक भी दो बैंक से होकर धनबाद की बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखा को मिला था. चेक क्लियरेंस के लिए सोमनाथ प्रमोटर प्रा लि ने पीएनबी बैंक मोड़ शाखा में जमा कराया. पीएनबी ने उक्त चेक को एसबीआइ की मुख्य शाखा को भेजा,जिसके बाद एसबीआइ मुख्य शाखा ने उक्त चेक को क्लियरेंस के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखा को भेज दिया.

इस मामले में गिरफ्तार भूपेंद्र सिंह चोपड़ा उर्फ बंटी सिंह की स्वीकारोक्ति पर पता लगा था कि बैंक ऑफ बड़ौदा की चेन्नई शाखा से निकासी का पैसा कई लोगों के बीच बांटा गया था.
इसमें खाता धारक को कमीशन के तौर पर करीब सवा लाख रुपये मिले. बाकी की रकम चेक देने वाले से लेकर उसमें मध्यस्थता निभाने वाले कई लोगों के बीच बांटी गयी थी. इसी में बंटी सिंह के खाते में बरामद 17 लाख रुपये व उनकी स्कॉर्पियो कार भी सीज कर ली गयी थी. इसमें स्कॉर्पियो कार तो बाद में छूट गयी,लेकिन 17 लाख रुपये का हिसाब का पता नहीं लग सका है.
बैंक ऑफ बड़ौदा ने नहीं लौटायी राशि
बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने दो चेकों से हुई निकासी का एक भी पैसा जिला प्रशासन को वापस नहीं किया है. बैंक के उप महाप्रबंधक राजेंद्र कुमार ने डीएम को लिखे पत्र में कहा कि दो चेकों से फर्जी निकासी की गयी राशि को वापस जमा किये जाने संबंधित प्रस्ताव पत्र प्रधान कार्यालय को भेजा गया है. उनको कहना था कि चूंकि यह एक धोखाधड़ी का मामला है. इसलिए धोखाधड़ी से संबंधित जरूरी पत्रचार या स्पष्टीकरण बैंक के प्रधान या अंचल कार्यालय से ही होता है. उपमहाप्रबंधक ने बैंक के स्टाफ के विरुद्ध भी नियमानुसार उचित कार्रवाई की बात कही थी.

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