संवाददाता, पटना भूकंप का भय और बजट की बैठक. शनिवार को जिला परिषद् में जब यह संयोग उत्पन्न हुआ, तो करोड़ों का बजट महज 30 मिनट में बिना किसी बहस-मुसाहिबे के पास हो गया. दोपहर डेढ़ बजे बैठक शुरू होनेवाली थी. जिप की अध्यक्ष नूतन पासवान अपने चैंबर में सहयोगी पार्र्षदों के साथ बैठी थी. चर्चा तो बजट की होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. सबके लबों पर बस भूकंप की बातें. नूतन पासवान जो वाकया सुना रही थी, उसके अनुसार जब पौने बारह बजे भूकंप आया तो वो चौथे माले पर थी. झटका जोर का था. सो चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. किसी तरह जब वे जिला परिषद के दफ्तर पहुंची तो वहां भी भय दिमाग से जाने का नाम नहीं ले रहा था. इसी सब में दो बज गये. कार्यालय के सहयोगी उनसे गुजारिश करते हैं कि समय हो गया है चलिए सभागार में, लेकिन कोई वहां से हिला भी नहीं. अध्यक्ष निकलती है और कहती हैं कि चलिए बाहर में ही लगाइए कुर्सी, यहीं करिए बैठक. इसके बाद वहीं पर दस्तखत लेना शुरू हो जाता है. तभी एक ने कहा, न मैडम मत जाइए, इ बिल्डिंगों पुराना है. अभी टीवी पर कह रहा है कि और झटका आयेगा. एक पार्र्षद आकर कहते हैं कि चलिए न, जल्दिए खत्म कर देंगे. डीडीसी आते हैं और बैठक शुरू हो जाती है. 30 मिनट में सारी औपचारिकताएं पूरी हो गयीं.
जोड़. भूकंप ने 30 मिनट में करा दिया करोड़ों का बजट पास
संवाददाता, पटना भूकंप का भय और बजट की बैठक. शनिवार को जिला परिषद् में जब यह संयोग उत्पन्न हुआ, तो करोड़ों का बजट महज 30 मिनट में बिना किसी बहस-मुसाहिबे के पास हो गया. दोपहर डेढ़ बजे बैठक शुरू होनेवाली थी. जिप की अध्यक्ष नूतन पासवान अपने चैंबर में सहयोगी पार्र्षदों के साथ बैठी थी. […]
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