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धान क्रय की तिथि पर हंगामा
विधानमंडल . सत्ता पक्ष का देर से पत्र मिलने व विपक्ष का भरमाने का आरोप नौ अप्रैल की शाम को धान खरीद की तारीख 15 अप्रैल तक बढ़ाने के लिए चिट्ठी भेजी केंद्र ने विधान परिषद में खराब गेहूं के पौधे ले कर पहुंचे भाजपा सदस्य, किया वेल में प्रदर्शन पटना : विधान परिषद में […]
विधानमंडल . सत्ता पक्ष का देर से पत्र मिलने व विपक्ष का भरमाने का आरोप
नौ अप्रैल की शाम को धान खरीद की तारीख 15 अप्रैल तक बढ़ाने के लिए चिट्ठी भेजी केंद्र ने
विधान परिषद में खराब गेहूं के पौधे ले कर पहुंचे भाजपा सदस्य, किया वेल में प्रदर्शन
पटना : विधान परिषद में विपक्षी भाजपा ने राज्य सरकार को धान की खरीद पर घेरा. धान की खरीद के लिए केंद्र के निर्देश के बावजूद राज्य सरकार द्वारा तिथि में विस्तार नहीं करने का विरोध करते हुए भाजपा के लाल बाबू प्रसाद ने कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया. उप सभापति हारुण रसीद द्वारा कार्य स्थगन प्रस्ताव नामंजूर करने के बाद भाजपा के सदस्यों ने वेल में आ कर सरकार विरोधी नारे लगाये. हंगामा को देखते हुए उप सभापति ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
वही दूसरी भोजनावकाश के बाद दूसरी पाली में शिक्षा मंत्री पीके शाही ने सभी सदस्यों को केंद्र सरकार से आया पत्र दिखाया. उन्होंने कहा कि धान खरीद के मामले पर केंद्र सरकार बिहार के किसानों को बरगलाने का काम कर रही है. किसानों को यह जानने का पूरा हक है कि केंद्र सरकार उनके साथ क्या धोखा कर रही है.
उन्होंने कहा कि यह पत्र नौ अप्रैल की शाम को केंद्र सरकार भेजती है, जिसमें 15 अप्रैल तक धान खरीद की तारीख बढ़ाने का जिक्र किया गया है. पूरे राज्य में धान खरीद 31 मार्च को ही बंद कर दिया गया है. इसकी तारीख बढ़ाने के लिए राज्य ने कई बार पत्र भी लिखा, लेकिन केंद्र की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. अब इतनी देर से सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए जवाब आया है, जिसका कोई मतलब नहीं है. सरकार ने केंद्र को 24 मार्च को ही धान खरीद की तारीख बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं आने के कारण मजबूरी में धान खरीद बंद करनी पड़ी.
बुधवार तक के लिए सदन स्थगित : मंत्री की इतनी बात सुनते ही भाजपा के सभी सदस्य भड़क गये और जोरदार हंगामा करने लगे. सभी सदस्य सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे. बैद्यनाथ प्रसाद तो हाथ में गेहूं की सूखी बाली और चना के सूखे पौधे लेकर प्रदर्शन करने लगे. ‘किसान विरोधी सरकार इस्तीफा दो, मुरदाबाद’ जैसे नारों से परिषद गूंज गया. इसी दौरान जदयू के नीरज कुमार ने विरोध करते हुए कहा कि परिषद में विपक्ष के नेता गलत बयान और तर्क देकर गुमराह कर रहे हैं.
थोड़ी देर हंगामेदार आरोप-प्रत्यारोप और नारेबाजी के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ और विपक्ष के सदस्य वेल में पहुंच गये और नारेबाजी करने लगे. मामला शांत नहीं होने पर कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी. इसके बाद विपक्ष के एक सदस्य ने नीतीश कुमार मुरदाबाद का नारा लगाया, तो सत्ता पक्ष के एक सदस्य ने नरेंद्र मोदी मुरदाबाद का नारा लगाया.
इससे पहले कार्यवाही शुरू होते ही सूचना पर खड़े होकर बैद्यनाथ प्रसाद ने कहा कि जदयू विधायक दल की बैठक में निर्णय हुआ है कि सभी विधायक 5-5 स्कूल बनाने की अनुशंसा करें. यह सुविधा सिर्फ सत्ताधारी दल के विधायकों को ही क्यों दी जा रही है. इस पर नीरज कुमार ने कहा कि यह सरकार आदेश नहीं है और न ही इस तरह की कोई अधिसूचना निकली है. परिषद का संचालन कर रहे हारूण रसीद ने भी कहा कि यह किसी तरह का सरकारी आदेश नहीं है.
सरकार पर किसानों के धान का 751 करोड़ रुपये बकाया : मोदी
पटना. विप में विरोधी दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि किसानों के धान की खरीद का 751 करोड़ रुपये सरकार पर बकाया है. उन्होंने कहा कि धान खरीद के लिए केंद्र सरकार ने नौ अप्रैल को तिथि में विस्तार की स्वीकृति दी. सहकारिता विभाग ने 15 अप्रैल तक तिथि में विस्तार का निर्देश भी दिया, लेकिन खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी नहीं की. उन्होंने कहा कि एसएफसी ने 31 मार्च के बाद किसानों को धान की कीमत के भुगतान पर रोक लगा दी है.
इसके कारण पैक्स में अब भी दो लाख 39 हजार मीटरिक टन धान पड़ा हुआ है. मिलरों से विवाद के कारण धान की कुटाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने सदन में छठी बार धान खरीद को लेकर मुद्दा उठाया है. इसके बावजूद राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है. इसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं.
15 तक तिथि बढ़ानी थी तो बीच में बंद क्यों की
खाद्य आपूर्ति मंत्री श्याम रजक ने कहा कि अगर 15 अप्रैल तक धान खरीद की तिथि बढ़ानी ही थी, तो इसे बीच में बंद क्यों किया गया? दो बार 24 और 30 मार्च को केंद्र को पत्र भेजा गया था, पर केंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया. अब जब सारे केंद्रों को बंद कर दिया गया है, तो केंद्र ने नौ अप्रैल को पत्र भेजा है कि 15 अप्रैल तक धान खरीद करने का.
केंद्र ने अभी तक धान में 15 अरब 84 करोड़ रुपये का बकाया नहीं दिया है. जबकि बिहार विकेंद्रीकृत खरीद व्यवस्था राज्य की श्रेणी में आता है. इसके तहत केंद्र को एडवांस में धान खरीद के लिए रुपये देने चाहिए थे, जो नहीं दिये. अगर केंद्र की मंशा सही होती, तो धान खरीद 31 मार्च को बंद नहीं करता. पिछले सालों में यह 15 अप्रैल तक चलती थी, पर इस बार तीन चरणों में तिथि केंद्र ने बढ़ायी है.
वह भी काफी हंगामा करने के बाद. बिहार के साथ भेद-भाव करने की नियत से ही केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान इस तरह की हरकत कर रहे हैं. उल्लू और मूर्ख बनाने का काम नहीं करें. 9 अप्रैल को पत्र भेजना केंद्र की यथार्थ से परे है.
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