दूसरे दिन आधी रात तक तृप्ति शाक्या के भजन से सराबोर रहा महोत्सवथावे (गोपालगंज). कभी राम बन के, कभी श्याम बन के, चले आना प्रभु जी चले आना… मशहूर गायिका तृप्ति शाक्या के भजन के साथ दो दिवसीय थावे महोत्सव का समापन मां सिंहासनी की आरती से रविवार की आधी रात में हुआ. बिहार के प्रमुख शक्तिपीठ थावे मां सिंहासनी के दरबार में पर्यटन विभाग की तरफ से आयोजित महोत्सव के दूसरे दिन सुरों का समां बंध गया था. आधी रात तक महोत्सव भोजपुरी सभ्यता, संस्कृति और ग्रामीण परंपरा से लवरेज रहा. दूसरे दिन का कार्यक्रम महर्षि अनिल शास्त्री के बांसुरी वादन से शुरू हुआ. इस मौके पर झारखंड के पारंपरिक छऊ नृत्य को पहली बार जिले के लोगों ने देखा और उसका खूब लुत्फ उठाया. मां थावे भगवती को समर्पित तृप्ति के भजन ‘कभी दुर्गा बन के कभी, काली बन के, चली आना… तो चाहे राम कहो, चाहे श्याम कहो … पर दर्शक झूम उठे. महामृत्युंजय मंत्र पर भाव नृत्य से लेकर राजस्थानी और अवधि में भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. विलुप्त हो रही कजरी के जरिये अपनी धरोहर को बचाने की अपील की गयी.
कभी राम बन के, कभी श्याम पर झूमे लोग
दूसरे दिन आधी रात तक तृप्ति शाक्या के भजन से सराबोर रहा महोत्सवथावे (गोपालगंज). कभी राम बन के, कभी श्याम बन के, चले आना प्रभु जी चले आना… मशहूर गायिका तृप्ति शाक्या के भजन के साथ दो दिवसीय थावे महोत्सव का समापन मां सिंहासनी की आरती से रविवार की आधी रात में हुआ. बिहार के […]
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