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विभागों में बंद नहीं हुआ बोतलबंद पानी का क्रेज

पटना: पर्यावरण संरक्षण और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़नेवाले कुप्रभाव को ध्यान में रखते हुए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने जनवरी, 2015 में एक सख्त आदेश जारी किया था कि बोतलबंद पानी या पेट बोतल वाले पानी का उपयोग किसी विभाग में कहीं पर नहीं किया जायेगा. लेकिन इस आदेश के तीन महीने बाद […]

पटना: पर्यावरण संरक्षण और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़नेवाले कुप्रभाव को ध्यान में रखते हुए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने जनवरी, 2015 में एक सख्त आदेश जारी किया था कि बोतलबंद पानी या पेट बोतल वाले पानी का उपयोग किसी विभाग में कहीं पर नहीं किया जायेगा.

लेकिन इस आदेश के तीन महीने बाद भी बोतलबंद पानी का क्रेज बदस्तूर जारी है. किसी भी विभाग के प्रधान सचिव, सचिव या अन्य अधिकारी बोतलबंद पानी का ही प्रयोग करते हैं. यहां तक कि सचिवालय या अन्य तमाम सरकारी कार्यक्रमों में भी बोतलबंद पानी का ही उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है.

तमाम प्रतिबंधों के बाद मंत्री से लेकर हर तरह के सरकारी कार्यक्रम में मंच पर बोतलबंद पानी रखा दिख जायेगा. जबकि मुख्य सचिव ने अपने उस आदेश में पेट बोतल से होनेवाली हानी और पर्यावरण को होनेवाले नुकसान को विस्तार से बताया था. बताया गया था कि एक पेट बोतल के निर्माण से छह किलो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सजर्न वायुमंडल में होता है. एक लीटर का बोतल बनाने में पांच लीटर पानी का प्रयोग होता है. इस तरह की कई अन्य गंभीर बातों का उल्लेख करते हुए बोतलबंद पानी का इस्तेमाल नहीं करने का सख्त आदेश जारी किया था. प्राप्त जानकारी के अनुसार, सचिवालय में मौजूद सभी विभागों में प्रति महीने 35-40 हजार रुपये का बोतलबंद पानी खरीदा जाता है.

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