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सीएम इंदिरा आवास जीर्णोद्धार में चार जिलों ने नहीं ली दिलचस्पी

पटना: पटना प्रमंडल में मुख्यमंत्री इंदिरा आवास जीर्णोद्धार की योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है. जिला स्तरीय अधिकारियों की सुस्ती के कारण बिहार सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अटक गयी है. राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने अपनी योजना के मुताबिक पटना प्रमंडल के सभी छह जिलों से जीर्णोद्धार का प्रस्ताव मांगा […]

पटना: पटना प्रमंडल में मुख्यमंत्री इंदिरा आवास जीर्णोद्धार की योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है. जिला स्तरीय अधिकारियों की सुस्ती के कारण बिहार सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अटक गयी है. राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने अपनी योजना के मुताबिक पटना प्रमंडल के सभी छह जिलों से जीर्णोद्धार का प्रस्ताव मांगा था.

कई माह बीत जाने के बावजूद अब तक चार जिलों की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं मिल सकी है. योजना को क्रियान्वित करने की गंभीरता केवल नालंदा और बक्सर जिले ने दिखायी है. दोनों जिलों से प्रस्ताव मिल चुका है. बाकी जिलों से अब तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. इसके कारण योजना अब भी कागजों में सिमटी हुई है और वे लाभुक जिन्हें इसकी आवश्यकता है, वे अब भी लाभान्वित होने की राह देख रहे हैं.

तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त नर्मदेश्वर लाल द्वारा की गयी समीक्षा में यह तथ्य प्रकाश में आया था. उस समय उन्होंने सभी उप विकास आयुक्त को इंदिरा आवास सहायकों के जरिये जल्द-से-जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा था, ताकि जनहित की योजना लेट-लतीफी की शिकार नहीं हो. इसकी सूचना प्रमंडल को भी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था, लेकिन कोई पहल अब तक नहीं हुई है.
सीएम इंदिरा आवास जीर्णोद्धार योजना
यह बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. सरकार ने यह योजना बनायी थी कि प्रदेश में सैकड़ों इंदिरा आवास के अधूरे होने के कारण उनका कोई उपयोग नहीं हो पाया है. यदि इनका जीर्णोद्धार किया जाये, तो यह फिर से रहने लायक हो सकता है. इसमें एक अप्रैल, 2004 से पूर्व निर्मित आवास को लिया जाना था, जिसकी छत अधूरी पड़ी हो. इसमें लाभुक को 30 हजार रुपये देने की योजना थी. पहली किस्त में 20 हजार और दूसरी किस्त में 10 हजार रुपये दिये जाने थे. इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिलों को एक प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया था कि उनके जिले में ऐसे कितने आवास बेकार पड़े हैं. पूरी रिपोर्ट आने के बाद योजना पर काम होता, लेकिन अब तक लेट-लतीफी के कारण यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है.

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