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2040 के बिहार के लिए करने होंगे बहुत काम

सीआइएमपी में आयोजित हुआ संवाद सत्रडॉक्टर एस इरूदया राजन ने की बिंदुओं पर चर्चालाइफ रिपोटर @ पटनाबिहार से बाहर जाकर जॉब करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. यह सभी अकुशल वर्कर हैं जो विदेशों में जॉब के लिए जाते हैं. यह कहना है सेंटर ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज, केरल की रिसर्च यूनिट […]

सीआइएमपी में आयोजित हुआ संवाद सत्रडॉक्टर एस इरूदया राजन ने की बिंदुओं पर चर्चालाइफ रिपोटर @ पटनाबिहार से बाहर जाकर जॉब करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. यह सभी अकुशल वर्कर हैं जो विदेशों में जॉब के लिए जाते हैं. यह कहना है सेंटर ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज, केरल की रिसर्च यूनिट ऑन इंटरनेशनल माइग्रेशन के चेयर प्रोफेसर डॉक्टर एस इरूदया राजन का. सीआइएमपी में आयोजित एक संवाद सत्र में पत्रकारों से बात करते हुए डॉक्टर राजन ने कहा कि माइग्रेट करने वालों की संख्या में हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है. उन्होंने कहा कि ये अकुशल कामगार अक्सर शोषण का शिकार भी होते हैं. अगर इनको शार्ट टाइम ट्रेनिंग दी जाये तो यह और बेहतर कर सकते हैं. इस विषय में किये गये अपने रिसर्च का हवाला देते हुए उनका कहना था कि बिहार के वर्किंग आबादी या युवाओं की संख्या ज्यादा है और इनके लिए उचित मात्रा में रोजगार के अवसर को प्रदान करना इस माहौल में फिलहाल संभव नहीं है. उन्होंने तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि विदेशों से बिहार में भेजी जानी वाली राशि बिहार के कुल व्यय के लगभग 15 प्रतिशत तक की है. विदेश जाने वालों के कई मुद्दों पर फोकस करते हुए उन्होंने कहा कि यहां ना तो कोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट है और ना ही कोई इसीएनआर पासपोर्ट ऑफिस. जिसका फायदा एजेंट उठाते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विदेश जाने वालों की अपनी-अपनी जरूरतें हैं. इसलिए ऐसा सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है. जिसमें बाहर जाने वालों की जरूरतों को समझा जा सकें.

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