— रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान माला में बोले पूर्व गवर्नरसंवाददाता,पटनात्रिपुरा व केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में प्रबुद्ध लोग होते हैं. यही प्रबुद्ध लोग सरकार पर दबाव बनाते हैं,जो जनहित में है. दायित्व व जवाबदेह सिविल सोसाइटी की समाज व देश में महत्वपूर्ण भूमिका है,जिसे नकारा नहीं जा सकता है. वह गांधी संग्रहालय द्वारा रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान माला के तहत ‘ भारतीय संविधान व सिविल सोसाइटी का ‘ विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आंदोलन व कार्रवाई के बीच मामूली अंतर होता है. इस अंतर को समझना महत्वपूर्ण है. दिल्ली के निर्भया कांड की जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिविल सोसाइटी ने आंदोलन किया और केंद्र सरकार को अंतत: कानून में संशोधन करते हुए सख्त होना पड़ा. यह अलग बात है कि सख्त कानून के बाद भी घटनाएं रुक नहीं रही हंै. इस पर सिविल सोसाइटी को क्या करना चाहिए. इस पर विचार करना होगा.1990 के दशक में राजस्थान की सिविल सोसाइटी द्वारा फूड को लेकर आंदोलन चलाया. आंदोलन का असर यह हुआ कि राइट टू फूड कानून बनाना पड़ा. उन्होंने कहा कि सिविल सोसाइटी पर कोई दबाव या जिम्मेवारी नहीं थोपी गयी है,लेकिन अपनी समझदारी से जनहित को लेकर काम करने के लिए बाध्य होते हैं. पीयूसीएल का जिक्र करते हुए कहा कि कई काम हुए ,जो जनहित से जुड़े हैं. कुछ संस्थाएं सरकार से भी संबद्ध हैं.व्याख्यान का संचालन गांधी संग्रहालय के निदेशक रजी अहमद ने किया.
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दायित्व व जवाबदेह सिविल सोसायटी की भूमिका महत्वपूर्ण: निखिल
— रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान माला में बोले पूर्व गवर्नरसंवाददाता,पटनात्रिपुरा व केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में प्रबुद्ध लोग होते हैं. यही प्रबुद्ध लोग सरकार पर दबाव बनाते हैं,जो जनहित में है. दायित्व व जवाबदेह सिविल सोसाइटी की समाज व देश में महत्वपूर्ण भूमिका है,जिसे नकारा नहीं जा सकता […]
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