नीतीश कुमार को विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि यह पूरी तरह से वैधानिक कदम है. जैसे ही विधानमंडल दल के नेता के रूप में किसी व्यक्ति को मान्यता दी जाती है, उसके दोनों सदनों में प्रवेश मिल जाता है. उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण के बाद तो सब तसवीर ही साफ हो जायेगी. निवर्तमान संसदीय कार्य मंत्री सह जदयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नीतीश कुमार को विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता देना पूरी तरह से वैधानिक है. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जीतन राम मांझी के लिए पत्र लिखा जाता है और वह वैधानिक हो जाता है, तो फिर नीतीश कुमार के लिए जारी किया गया पत्र वैधानिक क्यों नहीं होगा? नीतीश कुमार के लिए भी वहीं अधिसूचना मान्य है. उन्होंने कहा कि विधानमंडल दल के नेता को दोनों सदनों में प्रवेश की अनुमति होती है. वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत मुख्य सचेतक राजीव रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार को जदयू विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता देना पूरी तरह से गैर संवैधानिक है. विधानसभा अध्यक्ष को कानून के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है. मुख्यमंत्री को उनके पद पर से नहीं हटाया जा सकता है. अगर विधानसभा अध्यक्ष कानून को नहीं मानते और जंगलराज का स्वरूप देना चाहते हैं, तो इसे कोई क्या कर सकता है. जब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार ही नहीं है, तो उस बैठक में पास एक लाइन के प्रस्ताव के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष कैसे निर्णय ले सकते हैं. आखिर सात दिनों में क्या बन-बिगड़ जानेवाला है?
नीतीश कुमार का विधानमंडल नेता की मान्यता पर टिप्पणी
नीतीश कुमार को विधानमंडल दल के नेता के रूप में मान्यता मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि यह पूरी तरह से वैधानिक कदम है. जैसे ही विधानमंडल दल के नेता के रूप में किसी व्यक्ति को मान्यता दी जाती है, उसके दोनों सदनों में प्रवेश मिल जाता है. उन्होंने कहा कि […]
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