क्यों ताना देते हैं लोगछोटी-छोटी बातों को दिल में रखने से बड़े-बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं. आजादी की लड़ाई में सिर्फ आप लोगों ने ही खून नहीं बहाया है. जितना आपका खून बहा है, उतना सभी का खून बहा है. फिर यह तानाकशी, यह आरोप हम पर ही क्यों. यह संवाद नाटक ‘खेल-खेल में’ मौजूद तीन दोस्तों में से एक का था. यह संवाद बोलनेवाला उस्मान था. उस्मान, जो मुसलमान था. कभी भारत-पाकिस्तान मैच होता, तो लोग उसे ताना देते. पाकिस्तान हारती, तो उसे ताना देते. नाटक में आज के दोहरे सोचवाले लोगों की कहानी को दिखाया गया. उसके दोनों दोस्त कॉल (क्रिश्चियन) और रमेश पाठक (हिंदू) उसके पास जाते हैं और भारत-पाक के मैच को देखने की बात करते हैं. उस वक्त वह मैच देखने जाने से मना कर देता है. वह कहता है कि पिछले साल मुझ पर तुम लोगों ने काफी तानाकशी की थी. इस नाटक को देख रहे लोगों की आंखें बेहतरीन संवाद और झकझोर देनेवाले संवाद को सुन कर गीली भी हो रही थी. नाटक में उस्मान की बातों को सुन कर दोनों दोस्तों ने तय किया कि वे अब उस पर कभी तानाकशी नहीं करेंगे. अंत में तीनों दोस्त मैच देखने चले जाते हैं. नाटक के निर्देशक थे धर्मेश मेहता. इस नाटक का रूपांतरण आदिल रशीद और गीतांजलि कुमारी ने किया. शैलेश जमैयार, राकेश मेहता, गुंजन कुमार, शोभा सिन्हा, सानिया सिन्हा, मृत्युंजय शर्मा, मुन्ना शर्मा, लक्की कुमार, मनव्वर आलम के साथ प्रकाश संचालन में हीरा लाल राय ने बेहतरीन ने बेहतरीन योगदान दिया.
BREAKING NEWS
खेल से सीखें इनसानी फितरत
क्यों ताना देते हैं लोगछोटी-छोटी बातों को दिल में रखने से बड़े-बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं. आजादी की लड़ाई में सिर्फ आप लोगों ने ही खून नहीं बहाया है. जितना आपका खून बहा है, उतना सभी का खून बहा है. फिर यह तानाकशी, यह आरोप हम पर ही क्यों. यह संवाद नाटक ‘खेल-खेल में’ […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement