पटना: चारा घोटाले की तरह नेपाल हितकारी योजना गंडक परियोजना में 24.65 करोड़ का घोटाला हुआ है. योजना के तहत किसी सामान की ढुलाई हुई नहीं, लेकिन 24.65 करोड़ का भुगतान कर दिया गया. कई प्रमंडलों में इस तरह की अनियमितता की आशंका निगरानी विभाग ने जतायी है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने संवाददाता सम्मेलन […]
पटना: चारा घोटाले की तरह नेपाल हितकारी योजना गंडक परियोजना में 24.65 करोड़ का घोटाला हुआ है. योजना के तहत किसी सामान की ढुलाई हुई नहीं, लेकिन 24.65 करोड़ का भुगतान कर दिया गया. कई प्रमंडलों में इस तरह की अनियमितता की आशंका निगरानी विभाग ने जतायी है.
पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने संवाददाता सम्मेलन में उक्त जानकारी दी. उन्होंने बताया कि परियोजना के लिए स्टोन चिप्स और स्टोन मेटल शेखपुरा और कोईलवर से लाने का संवेदक के साथ एकरारनामा हुआ था. इसके लिए 36.60 करोड़ की ढुलाई खर्च का भी प्रावधान था.
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि संवेदक ने स्थानीय सामान का ही उपयोग किया है. सीमेंट भी अगल-बगल के इलाकों से खरीदी गयी,लेकिन ढुलाई मद में भुगतान प्राप्त कर लिया गया. आश्चर्य की बात है कि रिपोर्ट मिलने के बाद भी सरकार ने संवेदक को आज तक ब्लैक लिस्टेड नहीं किया है. इस मामले में अभी तक कोई एफआइआर भी दर्ज नहीं करायी गयी है. उन्होंने बिहार सरकार से पूछा है क संवेदक से जुर्माना समेत राशि क्यों नहीं वसूली गयी? मात्र कुछ अभियंताओं को निलंबित कर खानापूर्ति की गयी है. नेपाल सरकार ने जब इस मामले में अनियमितता की शिकायत को ले कर पत्र लिखा,तब बिहार सरकार ने जांच करायी.
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि संवेदक के खनिज चलान अवैध थे. चलान छह माह बाद के निर्गत किये गये हैं. यही नहीं,भारत-नेपाल सीमा को पार करने वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर शेखपुरा से निर्गत और उपलब्ध चालान में अंकित वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर से भिन्न पाया गया है. साफ है कि शेखपुरा से लदे सामान का प्रवेश सीधे नेपाल में नहीं हुआ है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि संवेदक के पास पत्थर का लीज था,जिसे उसने 15 जुलाई, 2010 को ही सरेंडर कर दिया था. नियमत: सरेंडर तिथि से छह माह बाद ही स्टॉक को समाप्त कर देना है. यदि छह माह में स्टॉक समाप्त नहीं हुआ, तो वह सरकार की हो जाती है.