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खुद से किया वादा याद रखें : कुमार विश्वास

इस साल न हो पुर-नम आंखें, इस साल न वो खामोशी हो,इस साल न दिल को दहलाने वाली बेबस-बेहोशी हो,इस साल मुहब्बत की दुनिया में, दिल-दिमाग की आखें हों,इस साल हमारे हाथों में आकाश चूमती पाखें हों,ये साल अगर इतनी मुहलत दिलवा जाये तो अच्छा है,ये साल अगर हमसे हम को, मिलवा जाये तो अच्छा […]

इस साल न हो पुर-नम आंखें, इस साल न वो खामोशी हो,इस साल न दिल को दहलाने वाली बेबस-बेहोशी हो,इस साल मुहब्बत की दुनिया में, दिल-दिमाग की आखें हों,इस साल हमारे हाथों में आकाश चूमती पाखें हों,ये साल अगर इतनी मुहलत दिलवा जाये तो अच्छा है,ये साल अगर हमसे हम को, मिलवा जाये तो अच्छा है,चाहे, दिल की बंजर धरती सागर भर आसूं पी जाये,ये साल मगर कुछ फूल नये खिलवा जाये, तो अच्छा है,ये साल हमारी किस्मत में कुछ नये सितारे टांकेगा,ये साल हमारी हिम्मत को कुछ नयी नजर से आंकेगा,इस साल अगर हम अम्बर से दु:ख की बदली को हटा सकें,तो मुमकिन है कि इसी साल हम सब में सूरज झांकेगायह कविता सुनाते हुए प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास कहते हैं, बहुधा लोगों को लगता है कि नये साल का मतलब पुरानी सारी बातें भूल जाएं और नये सिरे से जिंदगी शुरू करें, लेकिन ऐसा नहीं है. नये साल का अर्थ यह है कि बीते साल जिन चुनौतियों का हमने सामना किया है, जिन चीजों को लेकर संघर्ष किया है और हम लड़े हैं, उस लड़ाई को जारी रखें. पिछले साल की चुनौतियों, चिंताओं, समस्याओं को पूरी तरह न मिटाएं. पिछले साल जो आतंकी घटनाओं को हमने देखा, भ्रष्टाचार के प्रति जो हम चिंतिंत रहे, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जो हमने सवाल उठाये, उन्हें आगे भी उठाना होगा. वरना हम वहीं के वहीं रह जायेंगे. अब देखिये न, दामिनी की मां दो साल से रो रही है, लेकिन उसे अभी तक उसे न्याय नहीं मिला. मैं लोगों को बस यही कहना चाहता हूं कि बीते साल के अपने प्रॉमिस को न भूलें. वह प्रॉमिस जो खुद से किया है, जो दुनिया से किया है.

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