नीतीश कुमार की जगह लेने वाले जीतन राम मांझीतब एक अनजाने चेहरे की तरह थे. राजनीतिज्ञ तो पुराने थे पर रहे सबकी नजरों से ओझल ही. लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके बयानों ने पहले सबको चौंकाया. फिर उस पर सोचा जाने लगा और देखते ही देखते उस पर चर्चा भी होने लगी. समाज की बनावट के हिसाब से उनके इन बयानों के अर्थ तलाशे जाने लगे. बात चाहे जो हो, यह साल मुख्यमंत्री के चर्चा में रहे बयानों को लेकर भी याद रखा जायेगा. अपने राजनीति कॅरियर में लो प्रोफाइल रहने वाले मांझी को उनके ही बयानों ने खूब सूर्खियां दिलायीं.
सच तो यह है कि राज्य के शायद ही किसी मुख्यमंत्री का बयान देशभर में इतना चíचत हुआ हो . इस साल 20 मई को जीतन राम मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. शपथ लेने के बाद कुछ दिनों बाद ही उनके बयानों ने उनके व्यक्तित्व की किताब को लोगों के सामने खोलकर रख दिया. चूहा खाने और बिजली बिल सुधरवाने के लिए घूस देने के उनके बयानों मांझी को लोगों के बीच एक ऐसे इंसान के रूप में पेश किया जो सच बोलने में हिचकत नहीं. ऐसा कहते तो कई हैं लेकिन स्वीकार सिर्फ मांझी ने ही किया.
मांझी ने कभी कुछ गलत नहीं कहा
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने बयानों में कभी कुछ गलत नहीं कहा है. लोग अपने अनुचित अर्थो को उनके बयान में ढूंढते हैं. मांझी सरकार बिहार के लिए एक सुखद क्षण है. यह सरकार गरीबों के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है. गरीब जिस बात को समझते हैं उसी बात में मांझी उन्हें समझाते हैं. नीतीश कुमार ने मांझी को मुख्यमंत्री बनाकर जो ऐतिहासिक काम किया है वह आने वाले समय में दलितों के विकास के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.
डीएम दिवाकर
डायरेक्टर, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट
बिना सोचे-समङो बोलते हैं सीएम
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बोलने से पहले सोचते नहीं हैं कि वे क्या बोल रहे हैं या उन्हें क्या बोलना है. उनके जो मन में आता है वह बोल देते हैं. जबकि पिब्लक प्लेस में क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है उसे पहले ही तय कर लेना चाहिए. हमें क्लास में क्या पढ़ाना है, उसकी तैयारी कर के जाते हैं. मांझी जी बगैर सोचे समङो बोलते हैं. इस वजह से उस पर चर्चा ज्यादा होती है. लेकिन धीरे-धीरे लोग ऐसे बयानों को अगंभीर समझने लगते हैं. वे उस पर ध्यान भी नहीं देते कि मुख्यमंत्री क्या बोल रहे हैं.
ज्योति शेखर, शिक्षाविद्
कब-कब क्या कहा मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने
माह स्थान बयान
अगस्त पटना बिजली बिल सुधरवाने के लिए मुङो भी घूस देना पड़ा था.
अगस्त दानापुर चूहा खाना बुरी बात नहीं है. मैने भी चूहा खाया है. एससी-एसटी के लोग शराब कम पीएं. रात में सोते समय थोड़ी-थोड़ी शराब पीएं.
22 अगस्त पटना सिटी एससी-एसटी के लोग अपनी जनसंख्या बढ़ाएं. इसके लिए अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दें.
16 सितंबर मोतिहारी काम नहीं करने वाले डॉक्टरों का हाथ काट देंगे.
28 सितंबर पटना मधुबनी के अंधराठारी प्रखंड में 18 अगस्त को पूजा की. मेरे पूजा करने के बाद उस मंदिर को धुलवाया गया.
अक्टूबर पटना कोई थोड़ी बहुत कालाबाजारी कर रहा है तो वह कर सकता है.
11 नवंबर बगहा अधिकारी रंगरेलियां मनाते पकड़े गए तो होगी कार्रवई. आदिवासी ही बिहार के मूल निवासी, बाकी सब बाहरी हैं.
11 नवंबर गोपालगंज जो युवक बाहर कमाने जाते हैं, साल में एकबार वापस आते हैं. उनकी पत्नी यहां अकेले रहती है. वो क्या