पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री की परंपरा की बात करनेवाले लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि उन्होंने कितने आदिवासियों को टिकट दिया. ऐसा कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है कि वहां आदिवासी मुख्यमंत्री ही होगा. मोदी ने कहा कि बिहार में 1937 से 1970 तक लगातार सवर्ण जाति के लोग मुख्यमंत्री बन रहे थे.
अगर यह परंपरा नहीं टूटती, तो कपरूरी ठाकुर कैसे मुख्यमंत्री बनते? 1990 से 25 वर्षो तक पिछड़े वर्ग से आनेवाला ही मुख्यमंत्री रहा. फिर महादलित समुदाय के जीतन राम मांझी कैसे मुख्यमंत्री बन गये? दरअसल, पिछड़ा वर्ग के नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार को चिढ़ है. इसीलिए इस समुदाय से आनेवाले रघुवर दास का भी वह विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा जाति या समुदाय के आधार पर मुख्यमंत्री का चयन नहीं करती है. विधायकों ने जिस पर अपना विश्वास जताया और अपना नेता चुना वही मुख्यमंत्री बना. ऐसे में आदिवासी-गैरआदिवासी की चर्चा करना भारतीय संविधान और लोकतंत्र का अपमान है.
उन्होंने कहा कि झारखंड में विकास व सुशासन के मुद्दे पर भाजपा चुनाव जीत कर आयी है. पिछड़ों के स्वयंभू नेता बननेवाले लालू प्रसाद व नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक जमीन खिसकते देख बौखला गये हैं.
आदिवासियों की भावना पर कुठाराघात : राजद
राजद के प्रधान महासचिव मुंद्रिका सिंह यादव ने झारखंड में गैरआदिवासी को मुख्यमंत्री बनाये जाने पर भाजपा की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने न सिर्फ परंपरा तोड़ा है, बल्कि आदिवासियों की भावनाओं पर कुठाराघात भी किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में आदिवासियों के उत्थान व विकास की बात की थी. कई लोकलुभावने वायदे भी किये थे. जब भाजपा को बहुमत मिल गया, तो आदिवासी मुख्यमंत्री की परंपरा को तोड़ झारखंड की जनता के साथ वादाखिलाफी की गयी.