आइजीआइएमएस में मधुमेह रोगियों पर संपन्न हुई कार्यशाला (तसवीर पटना ) संवाददाता, पटना मधुमेह रोगियों में नेत्र संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि मधुमेह रोगी हर तीन माह पर एक बार पर्दे की जांच कराएं. ऐसा करने से आंखों में होनेवाली बीमारी का सही समय पर पता चल जायेगा और बीमारी को भी आराम से ठीक कर लिया जायेगा. ये बातें मंगलवार को इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के चक्षु विभाग में आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए एम्स, नयी दिल्ली के भूतपूर्व निदेशक डॉ राजवर्द्धन आजाद ने कहीं. उन्होंने कहा कि मधुमेह की वजह से पर्दे पर होनेवाली बीमारी अंधापन का मुख्य कारण हैं. आइजीआइएमएस निदेशक डॉ प्रो एनआर विश्वास ने कहा कि नेत्र संबंधी सभी बीमारियों का इलाज परिसर में होता है और हाल के दिनों में आई बैंक भी खोला गया है, जिसमें नेत्र प्रत्यारोपण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आंखों की बीमारी को लेजर से ठीक करने की व्यवस्था कम दर में उपलब्ध करायी गयी है. क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के एचओडी डॉ विभूति प्रसन्न सिन्हा ने कहा कि लेजर तकनीक से मधुमेह के कारण आंखों के पर्दे में होनेवाली बीमारी का इलाज किया जा रहा है, इसके लिए अत्याधुनिक लेजर मशीन स्थापित की गयी हैं. उन्होंने कहा कि परिसर में बने आइ बैंक का फायदा पूरे बिहार के लोगों को मिले, इसके लिए परिसर में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है और जल्द ही इसका दायरा बढ़ाया जायेगा. इस अवसर पर एमएस डॉ एसके शाही, डॉ बीपी सिंह, डॉ नागेंद्र प्रसाद, डॉ सत्यजीत सिन्हा, डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ निलेश मोहन, डॉ ज्ञान भास्कर सहित अन्य चिकित्सक व कर्मचारी मौजूद थे.
मधुमेह रोगी तीन माह पर कराएं आंखों के पर्दे की जांच
आइजीआइएमएस में मधुमेह रोगियों पर संपन्न हुई कार्यशाला (तसवीर पटना ) संवाददाता, पटना मधुमेह रोगियों में नेत्र संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि मधुमेह रोगी हर तीन माह पर एक बार पर्दे की जांच कराएं. ऐसा करने से आंखों में होनेवाली बीमारी का सही समय पर पता चल […]
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