पटना: लुंज हाथों की बीमारी से परेशान मरीजों को बिहार से बाहर जाना पड़ता है. अब ऐसे मरीजों को इलाज पटना एम्स में कम पैसे में शुरू हो गया है. इसके लिए ओपीडी में नंबर लगाना होगा और उसके बाद मरीज का इलाज माइक्रो सजर्री के माध्यम से होगा. अगर नस की किसी बीमारी की वजह से हाथ ने काम करना बंद कर दिया है, तो उसे ठीक किया जायेगा.
पहले ऐसे मरीजों को बिहार से बाहर जाना पड़ता था, जहां खर्च व परेशानी अधिक थी, लेकिन अब मरीजों को दोनों से राहत मिल जायेगी. बर्न एंड प्लास्टिक सजर्री विभाग में जनवरी से इमरजेंसी सेवा शुरू हो जायेगी. इसके लिए विभाग में पूरी तैयारी हो गयी है.
फिलहाल इस विभाग का ओपीडी चल रहा है, जहां मरीजों का इलाज व सजर्री हो रहा है. इमरजेंसी सेवा शुरू होने के बाद कटी उंगलियां व हाथों का भी दोबारा से प्रत्यारोपण होगा. इसके लिए अत्याधुनिक मशीन व औजार लाये गये हैं. इमरजेंसी में मरीजों को किसी भी बीमारी के लिए परिसर से बाहर नहीं जाना पड़े, इसकी व्यवस्था तेजी से हो रही है.
ओपीडी में ये सुविधाएं
लुंज हाथों की माइक्रो सजर्री
जलने के बाद शरीर पर आयीं विकृतियां
माथे व चेहरे की जन्मजात विकृतियां
कटे हाथ व उंगली का इलाज
कैंसर के बाद कटी जगहों को सुंदर बनाना
चेहरा को सुंदर करना, बाल प्रत्यारोपण, बचपन से जले हाथों का इलाज
तुरंत कटे हाथ व अंगुलियों की सजर्री (जनवरी से )
लुंज हाथों के इलाज के लिए
बिहार के लोगों को बाहर जाना
पड़ता था, लेकिन एम्स में इस
बीमारी का इलाज शुरू हो गया है. जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उनको ओपीडी में आकर इलाज कराना चाहिए. जनवरी से इमरजेंसी सेवा भी उपलब्ध होगी, इसके बाद तुरंत के कटे हाथ व उंगलियों को भी जोड़ा जायेगा. इसके अलावे कॉस्मेटिक का पूरा इलाज मौजूद है, जिसकी कीमत प्राइवेट से कई गुना कम है.
डॉ वीणा कुमारी, असिस्टेंट प्रोफेसर सह एचओडी, बर्न एंड प्लास्टिक सजर्री विभाग