पटना: पूर्व सांसद धनराज सिंह के बेटे अमरेंद्र सिंह की हाइ प्रोफाइल की मौत की मिस्ट्री बहुत जल्द अपने नतीजे पर पहुंच जायेगी. अब तक के अनुसंधान में यह साफ हो गया है कि अमरेंद्र घर से निकलने के बाद ट्रेन से आरा नहीं गये थे.
वह चार घंटे तक पटना में ही मौजूद थे. इस बीच एक घंटे तक वह फुलवारी में रहे, जहां से उनका शव मिला. शाम छह बजे के बाद मोबाइल का लोकेशन ठप हो जाता है.
इस बीच उन्होंने मोबाइल फोन से करीब नौ लोगों से संपर्क किया है. वह शख्स कौन-कौन हैं, इसका खुलासा होना बाकी है. इसकी पुष्टि उनके मोबाइल ट्रैक की जांच से हुई है. वहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत का समय भी शाम करीब बजे के आस-पास बतायी गयी है. इतना ही नहीं, अक्सर सस्पेंस के केस में पोस्टमार्टम के दौरान बिसरा प्रिजर्व किया जाता है. लेकिन, इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का सटीक वजह नहीं मिल सका है. पुलिस ने बिसरा प्रिजर्व क्यों नहीं किया, यह बड़ा सवाल है.
कब-कब कहां के मिले लोकेशन
उस दिन अमरेंद्र दोपहर दो बजे तक पुनाईचक में ही मौजूद थे. इसके बाद तीन बजे वह बोरिंग रोड पहुंचे. वहां से डाकबंगला चौराहा, फिर जमाल रोड होते हुए शाम के चार बजे मौर्या होटल गये. इसके बाद वह शास्त्री नगर, जगदेव पथ होते हुए फुलवारी पहुंच गये. शाम के पांच बजे से वह फुलवारी में मौजूद थे. पांच से छह बजे का लोकेशन भी फुलवारी का है. इसके बाद मोबाइल का लोकेशन नहीं मिला है. खास बात यह है कि जहां शव मिला है, उसके आस-पास वह एक घंटे तक मौजूद रहे. छह बजे के बाद उनकी मौत हो जाती है और उनका मोबाइल लोकेशन बताना बंद कर देता है. मोबाइल आज तक बरामद नहीं हो सका है. यहां बता दें कि फुलवारी की बिड़ला कॉलोनी में उनकी ससुराल है, लेकिन वह घटना के दिन ससुराल गये थे या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है.
पूर्व सांसद के पुत्र की मौत का मामला, उठ रहे हैं सवाल
अमरेंद्र की मौत के बाद पुलिस इस मामले को दुर्घटना और आत्महत्या से जोड़ कर देख रही है. शव मिलने के बाद पुलिस की ओर से कहा गया था कि उनकी जेब से आरा तक का रेल टिकट मिला है. यात्र के क्रम में उनकी मौत होने की शंका व्यक्त की जा रही है, लेकिन पुलिस का शुरुआती बयान अब उलटा साबित हुआ है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छह बजे के करीब मौत होने की बात कही जा रही है. सवाल यह है कि जब छह बजे उनकी मौत हो गयी, तो वह कब आरा चले गये. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब उन्होंने यात्र ही नहीं की तो उनकी जेब में टिकट कहां से आया. इसका जवाब अभी पुलिस के पास नहीं है.
वहीं अगर आत्महत्या की बात की जाये, तो सुबह चार बजे उनका शव रेलवे ट्रैक से मिला था, तो क्या मंगलवार की शाम छह से सुबह चार बजे तक शव ट्रैक पर इसी तरह पड़ा रहा. अगर हां, तो कई ट्रेनों का उस शव के ऊपर से गुजरना चाहिए. ऐसे में शव का परखच्चा उड़ जाता, लेकिन अमरेंद्र के शव में चेहरे के अलावा सीने और कमर पर चोट के निशान मिले हैं. अब तक के जो संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ है पूरी साजिश के तहत उनकी हत्या की गयी है.
अब तक नहीं मिला बायां हाथ
पूर्व सांसद के पुत्र अमरेंद्र की मौत के बाद उनका शव जरूर बरामद हुआ है, लेकिन शरीर से कट कर अलग हो चुका उनका बायां हाथ अब तक नहीं मिला है. पुलिस हाथ का तलाश नहीं कर सकी है. सूत्रों की मानें तो हाथ पर मौजूद चोट घटना से जुड़े राज उजागर कर सकता है. फिलहाल पुलिस जांच जारी रहने की बात कह कर कुछ भी बताने से इनकार कर रही है.
घरवालों का लिया बयान
घटना के बाद अनुसंधान में जुटी पुलिस शनिवार की रात पूर्व सांसद धनराज सिंह के घर पहुंची थी. जानकारी के अनुसार रेल डीआइजी, रेल एसपी, डीएसपी और जीआरपी के अधिकारी एक साथ पूर्व सांसद के घर पहुंचे थे. पुलिस ने घर के सभी सदस्यों का बयान अलग-अलग दर्ज किया. उनके रिश्तेदारों से भी बात की है.