लाइफ रिपोर्टर@पटनामानवाधिकार दिवस के अवसर पर पटना इप्टा द्वारा तीन दिवसीय नुक्कड़ नाटक समारोह के अंतर्गत चुप्पी नाटक की प्रस्तुति बुधवार को गांधी मैदान में पुरानी गांधी मूर्ति के पास हुई. दामिनी जैसी घटनाओं पर सवाल उठाता नाटक चुप्पी महिलाओं पर हो रहे घरेलु हिंसाओं से रू-ब-रू कराता है. एक तरफ जहां महिला सशक्तीकरण की बात जोरों पर है, वहीं दूसरी तरफ पिता, पति, भाई, ससुर के साथ-साथ समाज की ओछी मानसिक स्तर के लोगों द्वारा हिंसा का शिकार बनी महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है. नाटक चुप्पी महिलाओं पर हो रहे ऐसे ही कुछ हिंसा को दिखाता है. इसके साथ ही हमें इस बात से भी अवगत कराता है कि हिंसा का शिकार बनी महिलाओं को समाज के लोग किस नजरिये से देखते हैं. उसके साथ बराबर का व्यवहार करने की जगह उस पर ताने कसते हैं. उसे उसका अधिकार देने की जगह उसे अंधेरे कोने में दुबक कर बैठने पर मजबूर कर देते हैं. कुछ लोग उसे मदद के नाम पर दया और तरस का भाव दिखाते हैं. नाटक का निर्देशन राजीव रंजन एवं मदन मोहन ने किया. जिसमें विवेक, निर्भय, सत्यदेव, शशि, गुलशन, समता, प्रभात, कुंदन, विक्की, सोनल, अल्पना ने बेहतरीन अभिनय किया. नुक्कड़ में राजीव एवं मदन ने अपनी भूमिका निभायी.
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नुक्कड़ में महिलाओं की पीड़ा पर उठाया गया सवाल
लाइफ रिपोर्टर@पटनामानवाधिकार दिवस के अवसर पर पटना इप्टा द्वारा तीन दिवसीय नुक्कड़ नाटक समारोह के अंतर्गत चुप्पी नाटक की प्रस्तुति बुधवार को गांधी मैदान में पुरानी गांधी मूर्ति के पास हुई. दामिनी जैसी घटनाओं पर सवाल उठाता नाटक चुप्पी महिलाओं पर हो रहे घरेलु हिंसाओं से रू-ब-रू कराता है. एक तरफ जहां महिला सशक्तीकरण की […]
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