पटना: ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को प्रतिरोध मार्च के जरिये अपनी ताकत दिखायी. सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियनों एटक, बीएमएस, इंटक, सीटू, एक्टू, एआइयूटीयूसी़, टीयूसीसी, यूटीयूसी, एचएमएस व एआइएमयूक के साथ-साथ केंद्रीय एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों, पदाधिकारियों, प्रारंभिक, प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों, कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों, बैंक, बीमा आदि में कार्यरत 20 हजार से अधिक संगठित एवं असंगठित कर्मचारियों-मजदूरों ने मार्च में हिस्सा लिया.
हर राज्य की राजधानी में हुआ प्रदर्शन : गुरुवार की रात में ही राज्य के विभिन्न जिलों से निर्माण मजदूर, मिड डे मील वर्कर्स यूनियन, आशा, आंगनबाड़ी, बीड़ी मजदूर, टेंपो चालक राज्य कर्मचारी, श्रमिक विद्यालयों के शिक्षक, ठेका मजदूर पटना आ चुके थे. सीटू बिहार की ओर से मार्च का नेतृत्व राजकुमार झा अध्यक्ष व महासचिव गणोश शंकर सिंह ने किया. 15 सितंबर को ट्रेड यूनियनों के दिल्ली में संपन्न संयुक्त कन्वेंशन के फैसले के तहत राज्यों की राजधानियों में यह प्रदर्शन हुआ.
मालिकों के पक्ष में हो रहे संशोधन वापस ले सरकार
आर ब्लॉक पर आयोजित रैली को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने केंद्र सरकार से श्रमिकों के हितों के विरुद्ध और मालिकों के पक्ष में किये जा रहे संशोधनों को वापस लेने की मांग की. 10 सूत्री मांगों में महंगाई व बेरोजगारी पर रोक लगाने, श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर रोक, रेल, रक्षा एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों तथा बैंक, बीमा जैसे वित्तीय संस्थानों में विनिवेश पर रोक लगाने, ठेकाकरण पर रोक, ठेका कामगारों को स्थायी, कर्मचारियों के बराबर वेतन भत्ता, न्यूनतम मजदूरी 1500 रुपये, न्यूनतम पेंशन 3000 रुपये लागू करने, सबों को पीएफ पेंशन, 45 दिनों के अंदर यूनियनों का रजिस्ट्रेशन, आईएलओकन्वेंशन संख्या-87 एवं 98 को स्वीकार कर कानून बनाने की मांग शामिल रही. सभी ट्रेड यूनियनों के एक-एक प्रतिनिधि अध्यक्ष मंडल के सदस्य थे और एक-एक प्रतिनिधि ने रैली को संबोधित किया.