ठगी के शिकार युवकों की मौजूदगी साक्ष्य पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ या निगरानी से करायी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि मंत्रलय की जांच में भी लगभग 33 करोड़ के गबन का मामला सामने आया है. पीड़ित विजय कुमार, रामधार सिंह, शकुंतला देवी आदि ने बताया कि 1992 में कंपनी का निबंधन हुआ.
2001 में खनन का लीज मिला. उस वक्त कंपनी में सैकड़ों लोगों ने निवेश किया, मगर उनको अब तक उनका शेयर नहीं दिया गया. कंपनी को पारिवारिक कंपनी बना कर रख दिया गया है. 200 लोगों का कंपनी में चार करोड़ से अधिक रुपये जमा हैं. सीएमडी कृष्णानंदन सिंह ने कहा कि यह मामला कोलकाता के कंपनी लॉ बोर्ड में चल रहा है. इससे संबंधित कई मामले सिविल कोर्ट और हाइकोर्ट में भी चले हैं. जहां तक निवेश की रसीद दिखाये जाने की बात है, वह फर्जी है. कोर्ट में जाने के बाद किसी के साथ एग्रीमेंट नहीं हुआ. उन्होंने परिवारवाद का आरोप भी खारिज किया.