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निर्णय बदले सरकार, नहीं तो आंदोलन

पटना : पीएमसीएच के अधीक्षक सहित सात डॉक्टरों पर कार्रवाई का आइएमए व भासा ने विरोध किया है. साथ ही चेतावनी दी है कि सरकार निर्णय को बदले, वरना आंदोलन होगा. दोनों संघों के नेताओं ने कहा कि जिस अधीक्षक ने भगदड़ के बाद दिन-रात खड़े होकर पूरी चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त किया, उसे अवार्ड […]

पटना : पीएमसीएच के अधीक्षक सहित सात डॉक्टरों पर कार्रवाई का आइएमए व भासा ने विरोध किया है. साथ ही चेतावनी दी है कि सरकार निर्णय को बदले, वरना आंदोलन होगा. दोनों संघों के नेताओं ने कहा कि जिस अधीक्षक ने भगदड़ के बाद दिन-रात खड़े होकर पूरी चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त किया, उसे अवार्ड देने के बदले निलंबन की यह नीति नहीं चलेगी. अगर ऐसा होगा, तो सरकार ही मरीजों का इलाज करे. मंगलवार को बैठक के दौरान कई बार चिकित्सक आक्रोशित हुए और हड़ताल करने की बात कही.
भासा के महासचिव अजय कुमार ने चिकित्सकों को शांत करते हुए कहा कि पीएमसीएच की कमियों के प्रति मुख्यमंत्री की चिंता वाजिब है, लेकिन ये कमियां क्या केवल चिकित्सकों के कारण हैं. छुट्टी के दिन भी 48 घंटे लगातार एक पैर पर खड़ा होकर इमरजेंसी सेवा देनेवाले अधीक्षक, जो स्वयं असाध्य व जानलेवा बीमारी से ग्रसित हैं, उन्हें छुट्टी के दिन नहीं आ पाने पर दंडित करना और यूनिट इंचार्ज को बिना स्पष्टीकरण मांगे तबादला करना न्याय नहीं है. अगर इसे बदला नहीं गया, तो हम इसका विरोध करेंगे.
उन्होंने कहा कि पीएमसीएच को बेहतर करने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन की जाये, ताकि वहां की व्यवस्था बेहतर हो सके. बैठक में डॉ डीके चौधरी, डॉ विजय शंकर सिंह, डॉ राजीव रंजन प्रसाद, डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह, डॉ वसंत सिंह, डॉ अजय कुमार, डॉ राजीव रंजन कुमार सिंह, डॉ सच्चिदानंद कुमार, डॉ कुमार अरुण, डॉ रंजीत कुमार, डॉ लखींद्र प्रसाद, डॉ विश्वेंद्र कुमार सिन्हा, डॉ उमाशंकर सिंह, डॉ विजय कुमार, डॉ रमण कुमार वर्मा, डॉ महेश पासवान, डॉ अशोक पासवान, डॉ सतीश , डॉ मिथिलेश्वर कुमार सहित अन्य चिकित्सक मौजूद थे.
इधर, पीएमसीएच में मंगलवार को अधीक्षक कक्ष में चिकित्सकों के आने का तांता लगा रहा. उनका कहना था कि सरकार दवाओं की आपूर्ति को ठीक नहीं करेगी, तो मरीजों को कहां से मिलेगी. चिकित्सकों के काम की मॉनीटरिंग कभी सरकार नहीं करती है और अचानक औचक निरीक्षण करने पहुंच जाती है. हम दवा के बिना मरीज को मार नहीं सकते हैं. अगर सरकार पूरी दवा देगी और उसके बाद मरीज को नहीं मिले, तो अस्पताल प्रशासन दोषी है. लेकिन, जब भंडार में दवा ही नहीं होगी, तो मरीजों को कहां से मिलेगी. डॉक्टरों ने कहा कि निलंबन को वापस नहीं लिया गया, तो हम आंदोलन करेंगे.

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