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फुलवारीशरीफ : न स्कूल का अपना भवन, न पर्याप्त शिक्षक की व्यवस्था
अजीत यादव फुलवारीशरीफ : फुलवारीशरीफ प्रखंड में 104 प्राथमिक विद्यालय हैं. इनमें 16 ऐसे विद्यालय हैं, जिनका अपना भवन नहीं है. उनके नौनिहालों को दूसरे प्राथमिक विद्यालयों में टैग कर पढ़ाया जा रहा है. वहीं प्रखंड में चार प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें एक ही शिक्षक के सहारे सर्व शिक्षा अभियान का सपना साकार कराया […]
अजीत यादव
फुलवारीशरीफ : फुलवारीशरीफ प्रखंड में 104 प्राथमिक विद्यालय हैं. इनमें 16 ऐसे विद्यालय हैं, जिनका अपना भवन नहीं है. उनके नौनिहालों को दूसरे प्राथमिक विद्यालयों में टैग कर पढ़ाया जा रहा है. वहीं प्रखंड में चार प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें एक ही शिक्षक के सहारे सर्व शिक्षा अभियान का सपना साकार कराया जा रहा है.
वहीं फुलवारीशरीफ के नया टोला में प्राथमिक विद्यालय का भवन सड़क चौड़ीकरण में ध्वस्त हो गया. इसके एक सौ पच्चीस नौनिहालों को फुलवारीशरीफ थाने के पास वाले प्राथमिक विद्यालय (बालक ) में शिफ्ट कर दिया गया. यहां शिफ्ट हो जाने के चलते अधिकतर छात्र-छात्राओं ने दूसरे स्कूलों में अपना नामांकन करा लिया. प्रखंड सांईं चक हसनपुरा प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय नहीं है. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी गौहर अंजुम ने बताया कि सांईं चक में शौचालय के लिए जमीन नहीं है.
वहीं प्राथमिक विद्यालय हसनपुरा में शौचालय के लिए जमीन उपलब्ध है लेकिन यहां के प्राचार्य की उदासीनता से शौचालय का निर्माण नहीं हो पा रहा है. बीइओ का कहना है की स्वच्छता अभियान के तहत कई बार प्राचार्य को शौचालय निर्माण कराने के लिए कहा गया, लेकिन अबतक टाल-मटोल ही करते आ रहे हैं. वहीं प्रखंड के निसरपुरा सोताचक और सोरंगपुर में प्राथमिक विद्यालय के भवन जर्जर हालत में हैं.
प्राथमिक विद्यालय के भवन जर्जर हालत में हैं. फिर भी जान जोखिम में डालकर यहां सर्व शिक्षा अभियान में नौनिहालों को पढ़ाया जा रहा है. बीइओ का कहना है कि अधिकतर विद्यालयों में मिड डे मील दिया जाता है, फिर भी कहीं से शिकायत मिलने पर वे खुद जाकर समस्या का समाधान भी कराती हैं. वहीं संपतचक में कुल 47 प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें एकमात्र खेमनीचक की आदर्श कॉलोनी के प्राथमिक विद्यालय का भवन नहीं है, जिसके नौनिहालों को नया चक के प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है.
वहीं, प्राथमिक विद्यालय, निसरपुरा आगे से तो देखने में ठीक-ठाक ही लगता है लेकिन अंदर के कमरों और दीवारों का हाल बुरा है. दरार पड़ीं दीवारे और बड़े-बड़े छेद जर्जरता की कहानी बयां करते हैं. वहीं सोरंगपुर प्राथमिक विधालय का हाल तो सबसे ज्यादा बुरा है, जिसकी पूरी छत ही उजड़ी हुई है. यह एक डरावने घर की तरह लगता है. विद्यालय की छत गिर जाने के चलते खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर बच्चों को बाद में पास में बने समुदायिक भवन में शिफ्ट कर क्लास चलायी जा रही है.
विद्यालयों में शिक्षकों की कमी नहीं के बराबर
अधिकतर विद्यालयों में मिड डे मील दिया जा रहा है और शिक्षकों की कमी नहीं के बराबर है. इस कमी को भी दूर करने का िशक्षा िवभाग कर रहा है प्रयास.
चंदेश्वर कामत, संपतचक के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी
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