पटना : इंडियन वाटर वक्र्स एसोसिएशन के 52वें वार्षिक सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आने वाले दिनों में बिहार सरकार ‘भूजल संरक्षण विघेयक’ लाकर जमीन के नीचे के पानी के दोहन को नियंत्रित करेगी. 29 हजार करोड़ खर्च कर बिहार सरकार इस साल मार्च तक सभी घरों में पाइप के जरिये नल का जल उपलब्ध करा देगी. ‘जल जीवन मिशन’ के तहत 3 लाख 50 हजार करोड़ खर्च कर प्रधानमंत्री ने 2024 तक देश के सभी घरों में नल का जल पहुंचाने का निश्चय किया है.
सुशील मोदी ने कहा कि पानी की प्रचूरता वाले राज्य बिहार में भी भू-जल संकट गहराता जा रहा है. पिछले साल गर्मियों में पहली बार दरभंगा, छपरा, वैशाली आदि जिलों में टैंकर से पानी पहुंचना पड़ा था. भू-जल स्तर नीचे गिरने से बड़ी संख्या में चापाकल ठप्प पड़ गये थे. राज्य के 38 में से 37 जिलों के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की समस्या है. 1 लाख 14 हजार वार्ड में से 31 हजार में गुणवत्तायुक्त पेयजल की आपूर्ति चुनौती बनी हुई है. पिछले एक दशक से ज्यादा से पानी को आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन मुक्त करने की तकनीक सफल साबित नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि पेयजल का 75 प्रतिशत हिस्सा बाथरूम और रसोई घर से होकर गंदे पानी के तौर पर नालियों में बहा दिये जाते हैं. इस पानी के पुनः उपयोग की सस्ती तकनीक विकसित करने की जरूरत है. जमीनी जल स्तर को रिचार्ज और वर्षा जल को संचय करके ही पानी के संकट का सामना किया जा सकता है, क्योंकि पानी किसी प्रयोगशाला और फैक्ट्री में नहीं बनाया जा सकता है.
सुशील मोदी ने कहा कि पूर्व के नीति निर्धारकों की गलतियों के कारण देश में पानी का अनियंत्रित दोहन हुआ है. पंजाब में धान तथा दक्षिण के राज्यों कर्नाटक आदि में गन्ना की खेती को प्रोत्साहित करने का ही नतीजा है कि वहां भू-जल स्तर तेजी से नीचे गिरा है. मुफ्त बिजली से किसानों ने पानी का अनियंत्रित दोहन किया नतीजतन आज पंजाब में भू-जल स्तर 600 से 700 फीट नीचे चला गया है. चेन्नई सहित देश के अनेक बड़े शहरों में गंभीर जल संकट है.