पटना : महिला सिपाही का मोबाइल चोरी करना दो चोरों को महंगा पड़ गया. महिला ने बहादुरी दिखाते हुए दोनों चोर को पकड़ा और फिर पुलिस को फोन कर दोनों को गिरफ्तार कराया. पकड़े गये एक चोर मनेर का रहने वाला बच्चू जबकि दूसरा जक्कनपुर का रहने वाला विशाल कुमार है. दरअसल समस्तीपुर में तैनात महिला सिपाही मीनू देवी अपने निजी काम से पटना जगदेव पथ आ रही थी.
जगदेव पथ में ही उनका घर है. मीठापुर बस स्टैंड पर जैसे ही उतरी चोर उनके पीछा लग गये और थाने से 200 मीटर की दूरी पर मोबाइल छीन फरार हो गये.
मीठापुर बस स्टैंड से लग गये थे पीछे: पुलिस को दिये बयान में बच्चू ने बताया कि मीठापुर व करबिगहिया आने-जाने वाले राहगीरों को वह निशाना बनाते हैं और मोबाइल, पर्स आदि की चोरी कर बराबर-बराबर हिस्से में बांट लेते हैं. पिछले तीन साल से दोनों सक्रिय हैं और करीब दो दर्जन से अधिक लोगों को अपना निशाना बना चुके हैं. जिन महिला का मोबाइल चोरी किये उनको जानकारी नहीं थी कि वह सिपाही हैं और दौड़ाकर पकड़ लेंगी. वहीं, थाना प्रभारी मुकेश कुमार वर्मा ने बताया कि सूचना मिलते ही जक्कनपुर थाने की टीम रवाना हुई और चोर को गिरफ्तार किया. चोरी के बाकी मोबाइल की बरामदगी की जायेगी.
मोबाइल छीनकर भाग रहे चोर की पिटाई, किया गया गिरफ्तार
कोतवाली थाना क्षेत्र के स्टेशन गोलंबर के पास शुक्रवार की दोपहर राहगीरों की दिलेरी के चलते मोबाइल छीनकर भाग रहा एक चोर पकड़ लिया गया. आक्रोशित लोगों ने चोर की जमकर धुनाई कर दी. पुलिस ने चोर को गिरफ्तार कर लिया है. शुक्रवार की दोपहर कंकड़बाग की निवासी पिंकी जायसवाल अपने परिवार की अन्य महिलाओं के साथ एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रही थी. अभी वह पटना जंक्शन के समीप ही पहुंची थी कि एक नाबालिग उचक्के ने पिंकी के हाथ से मोबाइल छीनकर भागने लगा. महिला के शोर मचाने पर आसपास के राहगीर जुट गये ओर दौड़ाकर चोर को पकड़ लिये, इसके बाद जमकर पिटाई कर दी. बाद में महिला ने कोतवाली थाने की पुलिस को फोन किया मौके पर पहुंची क्विक मोबाइल टीम ने आरोपित को
पकड़ थाने लेकर आयी जहां बाल सुधार गृह में भेज दिया. वहीं, दूसरी ओर अशोक राजपथ की रहने वाली एक महिला डॉक्टर की मोबाइल भी चोरी हो गयी. महिला के बयान पर कोतवाली थाने में इससे संबंधित मामले को दर्ज किया गया.
पटना : पीएमसीएच आइबैंक में नहीं है एक भी कॉर्निया
नेत्रदान में हम दक्षिण और पश्चिम भारत से पिछड़े हैं
आइजीआइएमएस के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के एचओडी डॉ बिभूति पी सिन्हा बताते हैं कि आइजीआइएमएस में हाल के वर्षों में काफी कॉर्निया ट्रांसप्लांट हुए हैं. अब तक यह संख्या 450 से ज्यादा पहुंच चुकी है लेकिन अभी भी हम दक्षिण और पश्चिमी भारत में होने वाले नेत्रदान से काफी पीछे हैं. वहां के अस्पतालों में यह संख्या हजारों में है. मुख्य कारण समाज में नेत्रदान को लेकर जागरूकता की कमी है. वह बताते हैं कि जो कॉर्निया हमें मिली हैं उनमें से ज्यादातर उन दाताओं की है जिनकी मृत्यु आइजीआइएमएस में हुई थी. उनके परिवार वालों को हमारे काउंसेलर ने समझा कर इसके लिए तैयार किया था.