पटना : मुजफ्फरपुर में इस वर्ष चमकी बुखार से कई बच्चों की जानें गयी थीं. बड़ी संख्या में बच्चे इससे पीड़ित हुए थे. ऐसे बच्चों की सामाजिक स्थिति पर एक रिपोर्ट सामने आयी है. बीमारी के दौरान पीड़ितों के बीच राहत पहुंचाने के लिए स्वयंसेवक की भूमिका निभा रहे युवाओं की टीम ने इस पर जो रिपोर्ट तैयार की है वह कई महत्वपूर्ण जानकारियां देती है. यह चमकी बुखार से पीड़ित 227 बच्चों के अभिभावकों से बातचीत पर आधारित है.
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सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट : चमकी बुखार से पीड़ित सिर्फ 15.2 प्रतिशत बच्चे जाते थे स्कूल
पटना : मुजफ्फरपुर में इस वर्ष चमकी बुखार से कई बच्चों की जानें गयी थीं. बड़ी संख्या में बच्चे इससे पीड़ित हुए थे. ऐसे बच्चों की सामाजिक स्थिति पर एक रिपोर्ट सामने आयी है. बीमारी के दौरान पीड़ितों के बीच राहत पहुंचाने के लिए स्वयंसेवक की भूमिका निभा रहे युवाओं की टीम ने इस पर […]
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमार बच्चों में से सिर्फ 15.2 प्रतिशत स्कूल जाते थे. 29.5 प्रतिशत आंगनबाड़ी जाते थे. 25.2 प्रतिशत बच्चे घर में रहकर मां का हाथ बंटाते थे, 30 प्रतिशत अकेले या दूसरे बच्चों के साथ दिनभर बाहर भटकते थे. पीड़ित बच्चों में से 76.2 प्रतिशत परिवार वालों को चमकी बुखार के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी. बीमार बच्चों में से सिर्फ 58.1 फीसदी बच्चों को ही जेइइ का टीका लगा था.
59 फीसदी बच्चों के घर में टीकाकरण का कार्ड था. शेष बच्चों के घर में यह कार्ड नहीं था. रिपोर्ट बताती है कि यह बुखार ज्यादातर गरीब बच्चों में होती है. इसमें दर्ज है कि चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर बच्चों के परिवार की मासिक आमदनी दस हजार रुपये से कम थी. 2.2 फीसदी बच्चों के परिवार की मासिक आमदनी ही दस हजार रुपये से अधिक थी. 45.4 फीसदी परिवारों की मासिक आमदनी पांच हजार रुपये से भी कम थी.
यानी इसका असर अमूमन गरीब, दलित, पिछड़ी जाति के परिवारों पर ही रहा. इनमें से 22 फीसदी परिवारों का नाम पंचायत की बीपीएल सूची में दर्ज नहीं था. रिपोर्ट के मुताबिक चमकी बुखार से प्रभावित होने वाले परिवारों में मुख्यत: दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं. 27.8 फीसदी बच्चे महादलित, 10.1 फीसदी बच्चे दलित, 32.2 फीसदी बच्चे पिछड़ा समुदाय 16. 3 फीसदी बच्चे अति पिछड़ा समुदाय के थे.
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