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पटना : दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षकों की कमी
राजदेव पांडेय 130 बच्चों पर हैं एक शिक्षक हाशिये पर आरटीइ : गरीबों के घरों में 10 हजार दिव्यांग बच्चों का पढ़ाई का सपना अधूरा पटना : प्रदेश के अधिकांश दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई विशेष शिक्षकों की कमी से पूरी नहीं हो पा रही है. राज्य में दिव्यांग बच्चों की संख्या के अनुपात में विशेष […]
राजदेव पांडेय
130 बच्चों पर हैं एक शिक्षक
हाशिये पर आरटीइ : गरीबों के घरों में 10 हजार दिव्यांग बच्चों का पढ़ाई का सपना अधूरा
पटना : प्रदेश के अधिकांश दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई विशेष शिक्षकों की कमी से पूरी नहीं हो पा रही है. राज्य में दिव्यांग बच्चों की संख्या के अनुपात में विशेष शिक्षक नहीं हैं. करीब 130 दिव्यांग बच्चों पर केवल एक विशेष शिक्षक तैनात हैं. जबकि ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से केवल आठ बच्चों पर एक और आरटीइ एक्ट के मुताबिक प्रति 30 बच्चों पर एक शिक्षक अनिवार्य हैं. विशेष शिक्षकों की कमी से करीब 10 हजार मानसिक और शारीरिक यंत्रणा से पीड़ित दिव्यांग बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. प्रदेश में ऐसे विशेष बच्चों के लिए करीब 1100 शिक्षक हैं.जबकि, दिव्यांग बच्चों की संख्या करीब एक लाख 30 हजार है.
एक शिक्षक के जिम्मे 60-70 स्कूल : दिव्यांग बच्चे जो स्कूल, डे केयर सेंटरऔर संकुल केंद्रों पर पहुंच कर पढ़ाई करना चाहते हैं. उनकी पढ़ाई और चिकित्सा के लिए एक विशेष शिक्षक के जिम्मे 60 से 70 स्कूल हैं. जानकारों का कहना है कि विशेष शिक्षक इतने स्कूलों में आखिर एक साथ कैसे मौजूद रह सकते हैं. यह व्यावहारिक भी नहीं है. खुद विभाग मानता है कि बेहद ईमानदारी से भी अगर कोई विशेष शिक्षक पूरी ताकत लगाकर बच्चों को पढ़ाने का प्रयास करे, तो औसतन वह हर बच्चे को दो माह में केवल एक बार ही पढ़ा पायेगा.
विशेष तथ्य
-चालू वित्तीय वर्ष के लिए मिला बजट 65 करोड़
-प्रदेश में स्कूलों से संबद्ध दिव्यांग बच्चों की संख्या : 1.31 लाख से अधिक
-विशेष शिक्षक या रिसोर्स पर्सन की संख्या : 948
-वर्तमान में थेरेपी के लिए तैनात रिसोर्स पर्सन : 182
-38 जिलों में रिसोर्स सेंटर : 74
नोट : पटना में तीन और शेष जिलों में केवल दो-दो सेंटर हैं.
प्रदेश में डे केयर सेंटर : 74
कृत्रिम अंग बनाने वाले सेंटर : 5
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