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पटना : 5 साल में आरटीइ की 1.74 लाख सीटें रह गयीं खाली
राजदेव पांडेय निजी स्कूल बच्चों को एडमिशन देने में नहीं ले रहे रुचि पटना : राज्य के प्राइवेट स्कूल आरटीइ एक्ट के तहत समुचित संख्या में बच्चों को दािखला नहीं दे रहे हैं. शैक्षणिक वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक पूरे पांच सालों में नर्सरी व कक्षा एक में हुए कुल नामांकन में से 25% यानी […]
राजदेव पांडेय
निजी स्कूल बच्चों को एडमिशन देने में नहीं ले रहे रुचि
पटना : राज्य के प्राइवेट स्कूल आरटीइ एक्ट के तहत समुचित संख्या में बच्चों को दािखला नहीं दे रहे हैं. शैक्षणिक वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक पूरे पांच सालों में नर्सरी व कक्षा एक में हुए कुल नामांकन में से 25% यानी 4.24 लाख से अधिक सीटें आरटीइ के तहत एडमिशन के लिए निर्धारित की गयी थीं. इनमें से केवल 2.50 लाख सीटें ही भरी जा सकी हैं. वहीं, 1.74 लाख सीटें खाली रह गयीं हैं. खास यह कि अधिकतर प्राइवेट स्कूलों ने बताया कि उन्हें प्रवेश के लिए बच्चे ही नहीं मिल रहे हैं.
2014-15 से लेकर अब तक एक भी साल कक्षा एक व नर्सरी में आरटीइ के तहत निर्धारित सीटें नहीं भरी जा सकी हैं. राइट टू एजुेकशन एक्ट, 2009 के सेक्शन 12 (1)(सी) के तहत कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश देने के एवज में राज्य सरकार प्राइवेट स्कूलों को प्रति विद्यार्थी 6,569 रुपये देती है. इस हिसाब से राज्य सरकार सालाना 30-40 करोड़ प्राइवेट स्कूलों को भुगतान करती है. फिलहाल यह रिपोर्ट सीएजी को ऑडिट के लिए भेजी गयी है.
प्राइवेट स्कूलों ने कहा, नहीं मिल पा रहे बच्चे
4.24 लाख से अधिक सीटें पांच सालों में एडमिशन के लिए थीं निर्धारित
2.50 लाख सीटें ही भरी जा सकीं
आरटीइ के तहत हुए नामांकन की स्थिति
स्थिति 2014-15 2015-16 2016-17 2017-18 2018-19
अनुशंसित प्राइवेट स्कूल 4084 4845 5344 7125 8776
एक व नर्सरी में सीट 313506 299312 299177 320293 405775
नर्सरी व एक में आरटीइ सीट 81316 88276 76569 76798 101424
एडमिशन देने वाले स्कूल 2822 3808 3879 4495 8530
बच्चों को कुल एडमिशन 41424 45720 45631 50119 67671
एक्सपर्ट व्यू
लोगों को आरटीइ को जानना चाहिए. इसका फायदा लेना चाहिए. जिन्हें यह सुविधा मिलनी चाहिए थी, उन्हें नहीं मिल पा रही है. कुछ बड़े स्कूल आनकानी भी करते हैं, लेकिन लोगों को अपने अधिकार के लिए संंबंधित एजेंसियों से शिकायत भी करनी चाहिए. सरकार की तरफ से गठित हाइलेवल कमेटी की रिपोर्ट सौंप दी गयी थी. यकीन है िक सरकार इस मामले में सकारात्मक रुख अपनायेगी.
सैयद अब्दुल मोइन, एससीइआरटी के पूर्व निदेशक
एडमिशन को लेकर राज्य सरकार चिंतित
इस मामले को लेकर राज्य सरकार चिंतित है. वर्ष की शुरुआत में ही आरटीइ के तहत हो रहे एडमिशन की असलियत जानने को शिक्षा विभाग ने जनवरी, 2019 में हाइलेवल कमेटी गठित की थी. कमेटी ने बताया था कि स्कूलों को बच्चे नहीं मिल पा रहे हैं.
बड़े स्कूल आरटीइ के तहत एडमिशन देने में कोई खास रुचि नहीं ले रहे हैं. यह देखते हुए कि उनकी औसत फीस आरटीइ के तहत मिलने वाली प्रति बच्चा शुल्क से कई गुना ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक आरटीइ एडमिशन का सबसे ज्यादा पालन छोटे स्कूल ही कर रहे हैं. सच्चाई यह है कि छोटे स्कूल आरटीइ के तहत मिलने वाली राशि पर ही जिंदा हैं.
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