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मोबाइल एडिक्शन से बच्चों को बचायेगा आइजीआइएमएस

रविशंकर उपाध्याय, पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानी आइजीआइएमएस तीन से आठ साल के बच्चों को मोबाइल एडिक्शन की बीमारी से बचायेगा. अस्पताल के शिशु रोग विभाग ने इस उम्र सीमा के बच्चों में मोबाइल से लगातार चिपके रहने व मोबाइल लेकर ही खानपान के आदत की लगातार आ रही शिकायतों को देख कर […]

रविशंकर उपाध्याय, पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानी आइजीआइएमएस तीन से आठ साल के बच्चों को मोबाइल एडिक्शन की बीमारी से बचायेगा. अस्पताल के शिशु रोग विभाग ने इस उम्र सीमा के बच्चों में मोबाइल से लगातार चिपके रहने व मोबाइल लेकर ही खानपान के आदत की लगातार आ रही शिकायतों को देख कर यह निर्णय लिया है.

इसके तहत अस्पताल में मैटरनल और चाइल्ड हॉस्पिटल बनाया जायेगा. इसके एक फ्लोर पर मोबाइल डि-एडिक्शन सेंटर बनाया जायेगा, जिसमें बच्चों और अभिभावकों दोनों की काउंसेलिंग की जायेगी. अभिभावकों को जहां डॉक्टर और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट काउंसेलर प्रशिक्षित करेंगे, वहीं बच्चों के लिए इस सेंटर में मोबाइलनुमा प्रशिक्षण खिलौने रहेंगे.
वे मोबाइल की जगह उसी खिलौने से खेलेंगे और सीख सकेंगे. उनकी काउंसेलिंग करने के लिए भी यहां काउंसेलर की मौजूदगी होगी. अस्पताल के शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों के अनुसार मोबाइल से रेडिएशन निकलता है जो कि छोटे बच्चों पर घातक असर करता है. जो बच्चे घंटों स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, उनमें सीखने की क्षमता कम हो जाती है. वे पढ़ाई और दिमागी रूप से कमजोर हो सकते हैं.
45 हजार वर्गफुट पर पावरग्रिड कॉरपोरेशन बनायेगा अस्पताल
आइजीआइएमएस के प्राइवेट वार्ड के सामने की खाली पड़ी 45 हजार वर्गफुट जमीन पर यह मातृत्व व शिशु अस्पताल बनाया जायेगा. इसके ग्राउंड फ्लोर पर प्राइवेट वार्ड होंगे. फर्स्ट फ्लोर पर जच्चा और बच्चा वार्ड होगा. सेकेंड फ्लोर पर ओपीडी होगी. इसी तल्ले पर मोबाइल डिएडिक्शन सेंटर बनाया जायेगा.
पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी के तहत यह विशेष अस्पताल बनाने के लिए हामी भरी है, जिसके बाद इस अस्पताल का पूरा प्रस्ताव ऊर्जा मंत्रालय को भेजा गया है.
हर घर के छोटे बच्चों में मोबाइल एक बड़ी बीमारी की वजह बनती जा रही है. जो बच्चे स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनमें मोटापा और सही तरह से नहीं खाने के कारण कुपोषण की शिकायतें भी आ रही हैं. इस कारण हमने अस्पताल में मोबाइल डिएडिक्शन सेंटर बनाने का फैसला किया है.
– डॉ मनीष मंडल, अस्पताल अधीक्षक, आइजीआइएमएस

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