खगड़िया/ मोकामा: 31 मई, 2013 को मोकामा के एनएच -31 बाइपास में हुए एनकाउंटर के बाद अब जाकर मोकामा पुलिस की नींद टूटी है. घटना के सात दिन बीत जाने के बाद पुलिस ने उक्त वाहन में सवार दो अन्य लोगों की खोज- खबर तब लेनी शुरू कर दी जब घटना के चश्मदीद सैदपुर निवासी बमबम कुमार ने लोगों के सामने आकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी.
शुक्रवार को बाढ़ के एसडीपीओ ने जदयू नेता अशोक सिंह को फोन कर मुठभेड़ से सही -सलामत भाग निकले बमबम कुमार को पुलिस के समक्ष बयान कराने का आग्रह किया. इस पर उन्होंने बमबम के परिजनों से बात कर उसे पुलिस के समक्ष बयान देने को कहा, लेकिन बमबम के परिजन इसके लिए तैयार नहीं हैं. श्री सिंह ने पूरी बात की जानकारी देते हुए बताया कि बाढ़ एसडीपीओ के आग्रह पर जब उन्होंने बमबम के परिजन से बयान देने की बात कही, तो उसके परिजन इसके लिए तैयार नहीं हुए.
बमबम के परिजनों को पुलिस पर भरोसा नहीं
उन्होंने बताया कि उसके परिजनों को पुलिस पर भरोसा नहीं हो रहा है. परिजनों को शक है कि कहीं पुलिस बमबम की हत्या न करवा दे या फिर उसे किसी फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल में न डाल दे. श्री सिंह ने बताया कि परिजनों का साफ तौर पर कहना है कि बमबम को जो भी बयान देना होगा वह कोर्ट में जाकर देगा. श्री सिंह ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पहले पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में सोची -समझी साजिश के तहत उनके पुत्र की हत्या कर दी और बाद में उन्हीं से सहयोग खोज रही है. घटना के सात दिन बीतने को हैं.
पुलिस ने तब दो अज्ञात की खोज- खबर क्यों नहीं ली. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस यही चाहती थी कि घटना में अज्ञात लोग अज्ञात ही रह जायें ताकि सच्चई किसी के सामने नहीं आये. उन्होंने मोकामा थाने में प्रतिनियुक्त सभी कर्मी के निजी तथा सरकारी मोबाइल का प्रिंट आउट निकालने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इससे घटना के पीछे बैठे सफेदपोश लोगों के चेहरे से भी नकाब उठेगा.