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वरीय प्राध्यापकों को छोड़ कनीय को बना दिया डीन

शासी निकाय के निर्णय को किया गया दरकिनार मामला आइजीआइएमएस का, सदस्यों में असंतोष पटना : आइजीआइएमएस प्रशासन ने शनिवार को दो वरीय संकाय सदस्यों के रहते हुए आनन-फानन में एक कनीय डॉ अमरेंद्र कुमार को डीन का प्रभार सौंप दिया है. इस मनमानी के बाद संस्थान के संकाय सदस्यों में असंतोष के साथ आक्रोश […]

शासी निकाय के निर्णय को किया गया दरकिनार

मामला आइजीआइएमएस का, सदस्यों में असंतोष

पटना : आइजीआइएमएस प्रशासन ने शनिवार को दो वरीय संकाय सदस्यों के रहते हुए आनन-फानन में एक कनीय डॉ अमरेंद्र कुमार को डीन का प्रभार सौंप दिया है. इस मनमानी के बाद संस्थान के संकाय सदस्यों में असंतोष के साथ आक्रोश बढ़ गया है.

वहीं इस नोटिफिकेशन के बाद संस्थान के निदेशक डॉ एनआर विश्वास नौ अगस्त तक छुट्टी पर चले गये हैं. इसके बाद से परिसर का माहौल गरम हो गया है. इस बात की चर्चा जोरों पर है कि एक कनीय को आखिरकार अचानक से डीन का प्रभार सौंप कर निदेशक छुट्टी पर क्यों चले गये हैं.

यह निर्णय संस्थान के शासी निकाय के नियमों को दरकिनार कर लिया गया है, जिसके कारण यह माना जाने लगा है कि परिसर में भेदभाव व अपनों को खुश करने के लिए शासी निकाय के हर निर्णय को आगे भी दरकिनार किया जायेगा. इससे इसका संस्थान के विकास पर गलत प्रभाव पड़ेगा.

नियम का किया गया उल्लंघन : दरअसल 2007 में शासी निकाय की हुई बैठक के नियमानुसार डॉ अजय कुमार सिंह के बाद वरीयता क्रम में प्राध्यापक डॉ एके शाही के डीन बनने से लिखित रूप से इनकार करने पर वरीय प्राध्यापक डॉ हिमांशु शेखर राय डीन बने. इनके बाद वरीयता क्रम में डॉ महेंद्र सिंह डीन बने.

डॉ सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद संस्थान के पूर्व निदेशक सह निश्चेतना विभाग के एचओडी डॉ अरुण कुमार वरीयता क्रम में हैं, लेकिन शासी निकाय के निर्णय को दरकिनार कर उन्हें डीन नहीं बनाया गया. यही नहीं, इनके बाद वरीयता क्रम में आइजीआइएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ उदय कुमार आते हैं, लेकिन उन्हें भी दरकिनार कर दिया गया और कनीय प्राध्यापक डॉ अमरेंद्र कुमार को संकाय अध्यक्ष पद पर नियुक्ति कर डीन का प्रभार दिया गया.

संकाय के सदस्यों में असंतोष : इस निर्णय के बाद संकाय के सभी सदस्यों में असंतोष है. उनका मानना है कि संस्थान प्रशासन द्वारा अपने ही शासी निकाय के निर्णय की अवहेलना करना न केवल अनुचित है, बल्कि संस्थान में दोबारा से गुटबाजी की खबर को भी पुख्ता करता है. कुछ संकाय सदस्यों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बनाया कि डॉ अरुण कुमार के सख्त प्रशासनिक रवैये व नियमानुसार काम करने के निर्णय से परेशान चिकित्सकों के एक गुट ने निदेशक व स्वास्थ्य मंत्री को प्रभावित कर यह गलत निर्णय कराया है.

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