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पटना : जिप अध्यक्ष व प्रखंड प्रमुख का सीधे हो सकता है चुनाव

कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव होगा लागू पटना : त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में जिला परिषद अध्यक्ष और पंचायत समिति के प्रमुख का चुनाव सीधे कराया जा सकता है. निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में हॉर्स ट्रेडिंग पर रोकथाम के लिए इस तरह के प्रावधान पर विचार किया जा रहा है. छठे राज्य वित्त आयोग के […]

कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव होगा लागू
पटना : त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में जिला परिषद अध्यक्ष और पंचायत समिति के प्रमुख का चुनाव सीधे कराया जा सकता है. निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में हॉर्स ट्रेडिंग पर रोकथाम के लिए इस तरह के प्रावधान पर विचार किया जा रहा है.
छठे राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष नवीन कुमार को जिलों में होनेवाले भ्रमण के दौरान इस प्रकार का फीडबैक जन प्रतिनिधियों द्वारा दिया गया है. उम्मीद है कि राज्य वित्त आयोग द्वारा जिला परिषद अध्यक्ष और पंचायत समिति प्रमुख पद पर मुखिया के तर्ज पर सीधे चुनाव कराने की अनुशंसा राज्य सरकार को दी जा सकती है. विभाग को इस पर कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी.
कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस प्रक्रिया को लागू कर दिया जायेगा. पंचायती राज विभाग भी जिला परिषद अध्यक्ष व पंचायत समिति प्रमुख पद पर निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए होनेवाले हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लगाने को लेकर चिंतित है. इसके पहले नगर निगम में महापौार व उप महापौर और अन्य नगर निकायों में मुख्य पार्षद के पदों पर सीधे चुनाव की अनुशंसा सरकार को भेजने की तैयारी है.
अभी ऐसे होता है जिप अध्यक्ष और प्रमुख का चुनाव
पंचायती राज अधिनियम में यह प्रावधान है कि हर प्रखंड के अंदर निर्वाचित होनेवाले पंचायत समिति के सदस्यों द्वारा अपने प्रमुख का चुनाव किया जायेगा. राज्य भर में कुल 534 प्रमुखों का चुनाव होता है. इसी तरह से हर जिले में जिला परिषद के अध्यक्ष का चुनाव जिला परिषद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है. राज्य में 38 जिला परिषद अध्यक्षों का चुनाव किया जाता है.
इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी प्रावधान किया गया है. पंचायती राज अधिनियम 2006 में यह प्रावधान किया गया है कि एक बार प्रमुख या जिलाध्यक्ष के निर्वाचन के बाद पहले दो साल के कार्यकाल में उसके खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. इसी प्रकार उसके कार्यकाल के अंतिम छह माह के दौरान भी कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है.
जैसे ही किसी भी प्रमुख या जिला परिषद अध्यक्ष का पहला दो साल का कार्यकाल पूरा होता है,उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का दबाव शुरू हो जाता है. ऐसी स्थिति में बड़े पैमाने पर पंचायत समिति सदस्यों और जिला परिषद सदस्यों के हॉर्स ट्रेडिंग की बातें सामने आती हैं.
पंचायती राज प्रतिनिधियों के साथ बैठक जारी
राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष नवीन कुमार के द्वारा अभी तक समस्तीपुर, दरभंगा और भागलपुर जिलों में पंचायती राज प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जा चुकी है. इसमें पंचायती राज प्रतिनिधियों द्वारा आयोग को इस प्रकार का फीडबैक दिया गया है. अब आयोग की टीम रोहतास (14 अक्तूबर), कैमूर (15-16 अक्तूबर) और गया (17-18 अक्तूबर) में पंचायती राज प्रतिनिधियों के साथ बैठक करनेवाली है.
त्रि स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत स्तर पर मुखिया और सरपंच का चुनाव तो सीधे जनता द्वारा किया जाता है. पर प्रखंड स्तर पर गठित 534 पंचायत समितियों के प्रमुखों का चुनाव राज्य के कुल 11497 पंचायत सदस्यों द्वारा अपने-अपने प्रखंड में किया जाता है. इसी तरह से 38 जिलों के जिला परिषद अध्यक्षों का चुनाव राज्य के 1161 जिला परिषद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने-अपने जिले में किया जाता है.

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