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20 बड़े राज्यों में बिहार सबसे अंतिम 20वें पायदान पर, 74% प्राइमरी स्कूलों में है कम शिक्षक

80% स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य, 4.2% में मात्र एक शिक्षक पटना : प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है. तब कहीं जाकर वह देश में सम्मानजनक स्थिति बना सकेगा. अभी उसे अपने पड़ोसी राज्यों खासतौर पर झारखंड और यूपी से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है. […]

80% स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य, 4.2% में मात्र एक शिक्षक
पटना : प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है. तब कहीं जाकर वह देश में सम्मानजनक स्थिति बना सकेगा.
अभी उसे अपने पड़ोसी राज्यों खासतौर पर झारखंड और यूपी से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है. हालात यह हैं कि प्रदेश में 74 फीसदी प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां राइट टू एजुकेशन के नाॅर्म्स के मुताबिक समुचित शिक्षक नहीं है. 20 बड़े राज्यों में बिहार सबसे अंतिम 20वें पायदान पर है. उत्तर प्रदेश का स्थान 18वां और झारखंड का 19वां है. इस बात का खुलासा नीति आयोग की तरफ से हाल ही में जारी स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट में हुआ है. हालांकि, अपर प्राइमरी और इससे ऊपर वाली कक्षाओं में बिहार की स्थिति तुलनात्मक रूप में कुछ बेहतर है.
2016-17 के आंकड़ों के आधार पर तैयार हुई है रिपोर्ट
इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक बिहार ने पहले की तुलना में आंशिक प्रगति की है. 2015 में मानक के अनुसार केवल 21 फीसदी प्राइमरी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक थे.
2016-17 में ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़कर 26.3 फीसदी हो गयी. इसी तरह नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के 80 फीसदी स्कूल केवल प्रभारी प्रधानाध्यापकों के भरोसे चल रहे हैं. केवल 19.50 स्कूलों में ही शिक्षा विभाग नियमित प्रधानाध्यापक या प्राचार्य नियुक्त कर सका है. 2015- 16 में बिना प्रधानाध्यापक वाले स्कूलों की संख्या 85 फीसदी से अधिक थी.
झारखंड में प्रभारी प्रधानाचार्य वाले स्कूलों की संख्या बिहार से कुछ बेहतर 76 फीसदी है. राहत की बात ये है कि बिहार के 4.2 फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक शिक्षक नियुक्त है. अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में इसे बेहतर कहा जायेगा, क्योंकि उत्तरप्रदेश में ऐसे स्कूलों की संख्या 5.9 फीसदी और झारखंड में 16.9 फीसदी है. झारखंड में ऐसे स्कूलों की संख्या देश में बेहतर है.
चिंता का विषय स्कूलों में घटती उपस्थिति है
नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि बिहार के लिए चिंता का विषय बच्चों की स्कूलों में घटती उपस्थिति है. इंडेक्स बताता है कि वर्ष 2015-16 में बिहार के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 69.8 फीसदी थी. वर्ष 2016-17 में घटकर यह उपस्थिति 65.8 फीसदी हो गयी है. केरल में 92 फीसदी से अधिक, पड़ोसी राज्य ओड़िशा में बच्चों की स्कूल में उपस्थिति 74 फीसदी से ऊपर है.
लड़कियों के लिए 10% स्कूलों में शौचालय नहीं
बिहार के 90.1 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय हैं. शेष करीब 10 फीसदी स्कूलों में बच्चियों के लिए असुविधाजनक स्थिति बनी रहती है.
इस तरह की सुविधा देने के मामले में बिहार नीचे से दूसरे स्थान पर है. इस मामले में प्रदेश के निकटवर्ती राज्य झारखंड में 98 फीसदी से अधिक स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय हैं. यूपी में 99. 77 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय हैं.

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