पटना : बिहार के पूर्व मुख्य सचिव व लगभग 45 साल पहले पटना के जिलाधिकारी रहे विजय शंकर दूबे पिछले सात दिनों में अपने घर में कैद रहे. उनके घर में भी पानी था, लेकिन उसमें कमी आयी है. पटना में जल जमाव की स्थिति को लेकर वे भी अचंभित हैं. उन्होंने बताया कि पटना […]
पटना : बिहार के पूर्व मुख्य सचिव व लगभग 45 साल पहले पटना के जिलाधिकारी रहे विजय शंकर दूबे पिछले सात दिनों में अपने घर में कैद रहे. उनके घर में भी पानी था, लेकिन उसमें कमी आयी है. पटना में जल जमाव की स्थिति को लेकर वे भी अचंभित हैं. उन्होंने बताया कि पटना में 1975 में आयी बाढ़ में सड़कों पर सात फुट तक पानी था. लेकिन पानी की निकासी इस बार की तरह स्थिर नहीं थी. पटना में खासकर मध्य व पश्चिमी इलाके में काफी पानी जमा था.
लगभग दस दिनों में पानी की निकासी हो गयी थी. उस समय खराब स्थिति के बावजूद पंप से निकासी हो रही थी. उन्होंने बताया कि पटना में जल जमाव नहीं होने के लिए गंगा मैया की कृपा पर निर्भर रहना पड़ेगा या फिर पंप हाउस की क्षमता को बढ़ाना होगा. गंगा में पानी का लेवल डेंजर जोन से नीचे रहने पर ही जमा पानी का निकलना संभव है.
या फिर भविष्य में जल जमाव नहीं हो इसके लिए दीघा से लेकर दीदारगंज तक पंप हाउस का निर्माण कर उसकी क्षमता प्रत्येक पंप दस हजार हॉर्स पावर का इंतजाम करना होगा. सभी पंपों की कुल क्षमता ढाई लाख हॉर्स पावर होने पर ही जल जमाव की समस्या नहीं रहेगी.
वर्तमान में पंप हाउस की क्षमता लगभग पांच से छह हजार हॉर्स पावर की है. वह भी सीमित संख्या में है. उन्होंने बताया कि पटना मध्य व पश्चिम इलाके के पानी को गंगा व दक्षिण पटना के पानी को पुनपुन नदी में भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए. 1975 में शहर की जनसंख्या लगभग चार लाख थी. अभी जनसंख्या लगभग 30 लाख है.
शहर पर बढ़ते दबाव को लेकर सरकार को इसके लिए व्यवस्था करना होगा. इसके लिए तत्परता दिखानी होगा. पटना को बाढ़ से बचाने के लिए छह माह में ही सुरक्षा बांध का निर्माण काम पूरा कर लिया गया था. उन्होंने बताया कि शहर के ड्रेनेज सिस्टम को इंटरकनेक्ट की जरूरत है. ताकि किसी इलाके का पानी कहीं से भी निकल सके.