जलजमाव के आठ दिन बीत गये हैं. राजेंद्रनगर में हालात सामान्य नहीं हुए हैं. पानी कम हुआ है, लेकिन अब भी करीब तीन फुट पानी है. अब यह इलाका संक्रमण का अड्डा बन गया है. लोग बीमार हो रहे हैं. खिड़की खोलने पर ताजी हवा की जगह बदबू का एहसास हो रहा है और मच्छर धावा बोल रहे हैं. बारिश का पानी नाले के पानी से मिल गया है. कुछ भी अच्छा नहीं है, बस दुर्गंध ही दुर्गंध. आइए पढ़ते हैं लोगों का दर्द, उन्हीं की जुबानी.
पता नहीं कब तक निकलेगा पानी
बीएससी फाइलन ईयर के छात्र रोहित आनंद राजेंद्रनगर के रोड नंबर 11-इ में रहते हैं. उन्होंने जलजमाव को लेकर कहा कि यह तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है.
आठ दिन हो गया. हद हो गयी है, पता नहीं कब तक प्रशासन पानी निकलवा पायेगा. पानी कम हुआ है, लेकिन इतना भी कम नहीं कि लोग अच्छे से रह सके. सबसे बड़ी समस्या गंदगी, बदबू और संक्रमण की है. लोग बीमार हाेने लगे हैं. कुछ लोगों को बुखार हो रहा है, किसी को डेंगू की शिकायत है तो किसी को खुजली हो रही है. बहुत मुसीबत है, घरों में रहना मुश्किल हो गया है. कुछ लोगों को घर से निकाल दिया गया है लेकिन परिवार के कुछ सदस्य घर की रखवाली के लिए अंदर रहते हैं.
सड़ांध से मुहाल हो गया है जीना
जलजमाव के बाद इतनी सड़ांध हैं कि जीना मुश्किल हो गया है. नालंदा के रहने वाले रमेश कुमार धनुष पुल पर आये थे. उन्होंने बताया कि उनका भाई राजेंद्रनगर में एसबीआइ के गेस्ट हाऊस में काम करता है. मेस में खाना बनाता है. लेकिन जलजमाव होने के बाद सब लोग भाग गये हैं. उनका भाई अंदर है. उसी के लिए खाने का इंतजाम कर रहे हैं. जिला प्रशासन की तरफ से पानी का वितरण किया जा रहा है लेकिन पानी फिर भी कम पड़ रहा है. सप्लाइ का पानी, मोटर का पानी बिजली नहीं आने के कारण बंद है, इसलिए बहुत मुश्किल हो रहा है.
अब तो शुरू हो गयी चोरी
गया कॉलेज के प्रोफेशर प्रभात कुमार के भाई आशीष बताते हैं कि सैदपुर हॉस्टल के सामने उनके भाई रहते हैं. बारिश के बाद जलजमाव से लोग एक तरह से अपने ही घरों में बंधक बन गये हैं. बारिश के पानी में नाले का पानी मिल गया है इससे बदबू बहुत है. संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. पहले से लोग काफी परेशान हैं, इसके बावजूद चोरी की समस्या बढ़ गयी है. कुछ घरों में चोरी हुई है. इसलिए घर में लोग मौजूद हैं. एक सदस्य दिन में निकल करजाते हैं और फिर जरूरी सामान लेकर वापस अपने घर एनडीआरएफ की नाव से जाते हैं. अंदर भईया हैं, भाभी हैं, बच्चे हैं.
पुल पर करते हैं घंटों इंतजार
बाजार समिति में रूपेश कुमार का परिवार रहता है. यह लोग पानी भर जाने से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. रूपेश कुमार बताते हैं कि कुछ सामान लेकर आते हैं तो घंटों यहां पुल पर इंतजार करते हैं. एनडीआरएफ की नाव से घर के लोग आते हैं और सामान लेकर जाते हैं लेकिन मोबाइल चार्ज नहीं होने से सबसे संपर्क नहीं हो पाता है. कभी ऐसा भी होता है कि लोग अंदर से पुल पर आते हैं तो हमकों पता नहीं रहता है, वह लोग चले जाते हैं तो कभी हम सामान लेकर वापस लौट जाते हैं कोई नहीं आता. एक बार बात हो जाती तो आसानी से सामान पहुंचा सकते. फिलहाल संघर्ष जारी है.
दुकान डूब गयी सामान बर्बाद
राजेंद्रनगर रोड नंबर-13 ए में रहने वाली बेबी देवी बताती हैं कि वह दरभंगा की रहने वाली हैं. उनके ससुर पीआरडीए में थे. सरकारी मकान है, मेरे पति दो भाई हैं जयप्रकाश त्रिवेदी और ओमप्रकाश त्रिवेदी. दोनों परिवार काफी सालों से रहता है. एक किराना दुकान थी जीने-खाने के लिए. लेकिन इस बारिश और जलजमाव ने सबकुछ डूबो दिया है. दुकान पूरी तरह से डूब चुकी है. सारा सामान खराब हो चुका है. ग्राउंड फ्लोर पर मकान है, पूरा डूबा हुआ है, पड़ोसी के घर रह रहे हैं, आठ दिन हो गया, पता नहीं वह लोग क्या सोचते होंगे.
काम की चीजें नहीं िमल रहीं
पाटलिपुत्र कॉलोनी में रहने वाले डॉ श्याम किशोर कहते हैं कि घर से निकलने के लिए सोचना पड़ रहा है. वह बताते हैं कि आज भी उनके घर के बाहर डेढ़ फुट पानी जमा है. उन्होंने बताया की पूरी कॉलोनी का नाला जाम पड़ा है. रोजमर्रा की चीजों के लिए परेशान होना पड़ रहा है. इलाके में पानी जमा होने के कारण दुकानें भी बंद है. श्याम किशोर बताते हैं कि उनके एक रिलेटिव रूबन अस्पताल में भर्ती हैं. जरूरी दवाई का इंतजाम करने में भी परेशानी होती है
डॉक्टर के पास जाना मजबूरी
हरू नगर में रहने वाले राजेंद्र महतो पैरालाइसिस के मरीज हैं. उन्होंने बताया की घर में सारे लोग नौकरी पेशा हैं, इस कारण आज खुद ही पानी में उतर कर डॉक्टर से दिखाने जाने रहा हूं. पिछले पांच दिनों से जल जमाव के कारण डॉक्टर बैठ भी नहीं रहे थे. घुटने तक पानी में किसी तरह चलते हुए आ रहा हूं. गिरने का डर भी लग रहा था. अगर घर के सदस्यों का ऑफिस से आने का इंतजार करता तो डॉक्टर साहब उठ जाते.