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पटना : ‘अक्षर की डोर’ पकड़कर अब साक्षर होंगे बंदी

पटना : विश्व साक्षरता दिवस (आठ सितंबर ) से राज्य की सभी जेलों के निरक्षर बंदी ‘अक्षर की डोर ‘ पकड़ कर अब साक्षर होंगे. पढ़े लिखे बंदी ही निरक्षर साथियों को पढ़ायेंगे. जेल के अंदर स्कूल की तरह छह घंटे की पाठशाला लगेगी. बीच में दो घंटे का इंटरवलभी होगा. जेल आइजी मिथिलेश मिश्र […]

पटना : विश्व साक्षरता दिवस (आठ सितंबर ) से राज्य की सभी जेलों के निरक्षर बंदी ‘अक्षर की डोर ‘ पकड़ कर अब साक्षर होंगे. पढ़े लिखे बंदी ही निरक्षर साथियों को पढ़ायेंगे. जेल के अंदर स्कूल की तरह छह घंटे की पाठशाला लगेगी. बीच में दो घंटे का इंटरवलभी होगा. जेल आइजी मिथिलेश मिश्र ने इस अनूठे प्रयोग को लेकर सभी कारा अधीक्षकों की जिम्मेदारी भी तय कर दी है.
सभी केंद्रीय कारा, मंडल कारा, उपकारा के अधीक्षकों को बंदियों को साक्षर बनाने के अभियान का ड्राफ्ट भेजा गया है. इसमें सभी जेलों में सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदियों में साक्षर और निरक्षर की सूची तैयार की जायेगी. साक्षर बंदियों में से वालंटियर बनाये जायेंगे.
इस सूची में वह बंदी होंगे जो निरक्षर बंदियों को पढ़ाना चाहते हैं. इसके बाद समूह बनाये जाएंगे. हर समूह में एक शिक्षित बंदी और 15 से 20 निरक्षर बंदी होंगे. अधीक्षक कारा ब्लैक बोर्ड से लेकर लेखन सामग्री उपलब्ध करायेंगे. जेल पदाधिकारी रोजाना पर्यवेक्षण करेंगे. हर माह समीक्षा होगी.
यह होगा सिलेबस : निरक्षर बंदी को साक्षर बनाने के लिये राज्य साधन केंद्र द्वारा हिंदी एवं उर्दू में प्रकाशित प्रवेशिका (पुस्तक) अक्षर की डोर व दस्तक को सिलेबस के रूप में पढ़ाया जायेगा. निरक्षर बंदियों को इस लायक बनाया जायेगा कि वह अखबार-मैगजीन पढ़ सकें. आवेदन पत्र लिख सकें. साधारण हिसाब-किताब कर सकें.
विश्व साक्षरता दिवस आठ सितंबर से जेलों में साक्षरता अभियान प्रारंभ किया जा रहा है. जेल में बंद निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने में राज्य उदाहरण बने ऐसा प्रयास है.
मिथिलेश मिश्र, आइजी जेल

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