पटना : अब चालान में गलत जानकारी या दूरी भरकर टैक्स की चोरी नहीं की जा सकेगी. इ-वे चालान या बिल में दोनों स्थानों का पिन कोड डालना अनिवार्य होगा. जहां से सामान चल रहा है और कहां पहुंचना है, दोनों स्थानों का पिन डालना होगा.
इससे दोनों जगहों की सही दूरी का पता चल जायेगा और चालान में इसके अनुसार टैक्स, आने-जाने में लगने वाले समय के आधार पर चालान की वैद्यता अंकित हो जायेगी. इससे टैक्स में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकेगी. पहले व्यापारी इ-वे चालान निकालते समय गलत दूरी भर देते थे और इससे एक ही चालान का उपयोग कई बार सामान ढोने के लिए कर दिया जाता था. इसमें बड़े स्तर पर टैक्स की चोरी होती थी. इ-वे चालान की वैद्यता 100 किमी प्रतिदिन के हिसाब से निर्धारित होती है.
ऐसे में पहले कोई व्यापारी दो स्थानों के बीच मनमाने ढंग से दूरी वास्तविक दूरी एक हजार के स्थान पर पांच हजार किमी डाल देते थे. इससे सामान लाने के लिए चालान की वैद्यता 10 दिनों के स्थान पर 50 दिन हो जाती थी. ऐसे में एक ही चालान पर कई बार सामान को ढो लिया जाता था. अगर रास्ते में कहीं चेकिंग हो गयी, तब तो ठीक है. अन्यथा एक चालान ही चार से पांच बार उपयोग हो जाता था. ऐसा करके टैक्स की बड़े स्तर पर हेराफेरी होती थी.
फास्ट टैग और आरएफआइडी का उपयोग भी
अब सामान ढोने वाली गाड़ियों में फास्ट टैग और आरएफआइडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस) टैग का भी उपयोग होगा. फास्ट टैग से टोल बूथ पर बार-बार रुककर पैसा देने का झंझट नहीं होगा. जैसे-जैसे टोल टैक्स पार होता जायेगा, संबंधित एकाउंट से उतने रुपये कटते जायेंगे. वहीं, आरएफआइडी की मदद से वाहन में लोड सामान, कहां से कहां तक आना-जाना है, इ-वे चालान समेत तमाम जानकारी इसमें मौजूद रहेगी.