पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं को बंद किये जाने की वकालत करते हुए सोमवार को कहा कि इसके स्थान पर सेंट्रल सेक्टर स्कीम चलायी जानी चाहिए यानि केंद्र सरकार देश में अगर कोई योजना चलाना चाहती है तो उसकी योजना हो. पटना में सोमवार के आयोजित ‘लोक संवाद’ के बाद पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश ने कहा कि हमलोगों ने इन बातों को वित्त आयोग के समक्ष रखने के साथ राजग की भी बैठक के दौरान रखा है.
नीतीश कुमार ने हर राज्य की अपनी अपनी योजना की वकालत करते हुए कहा कि वह जब केंद्र सरकार में थे तो उस समय भी उन्होंने केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं की संख्या को घटाने में अपनी भूमिका निभायी थी. उन्होंने कहा कि राज्य के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए अगले पांच सालों के दौरान पहल की जानी चाहिए ताकि पिछड़े राज्य भी विकसित राज्यों की श्रेणी में आ जाएं.
अनुच्छेद 370 हटाये जाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर सीएम नीतीश ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही अनुच्छेद 370 हटाये जाने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि राम मंदिर का निर्माण अदालत के निर्णय से या लोगों की सहमति से होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समान नागरिक संहिता को थोपे जाने के पक्ष में भी नहीं हैं.
केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने से संबंधित प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में हम पहले ही जवाब दे चुके हैं. कहीं कोई समस्या नहीं है. बिहार के विकास के लिए, बिहार के हित के लिए किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आयेगी, मुझे ऐसा पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा पहले ही बहुत योजनाओं को मंजूरी दी गयी है उसका क्रियान्वयन किया जा रहा है. जब भी केंद्र के प्रतिनिधियों से बातचीत होती है उसका सदुपयोग हमलोग बिहार के हित के लिए करते है. नीति आयोग की बैठक में हमलोग बिहार के विकास के संबंध में अपनी बातें रखेंगे.
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने अपने एक वाक्य से इसे खारिज कर दिया था, लेकिन 15वें वित्त आयोग के समक्ष बिहार राजग के तीनों घटक दलों ने अपनी बात रखी है. अगले पांच वर्षों में बिहार को विकसित राज्य की श्रेणी में लाने के लिए हमलोग काम करेंगे.
बिहार के विपक्षी महागठबंधन के लोगों के प्रहार के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि न हम उनके आलोचनाओं पर ध्यान देते थे और नहीं जो वे आज कह रहे है उस पर ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले से ही विरोधियों द्वारा मेरे बारे में कई बातें कही जाती थी, मैं उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था. नीतीश ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान जनता के बीच हमलोगों ने अपनी बातों को रखा, हमनें 171 मीटिंग की. जनता ने अपना रिस्पांस दिया और जनता ने उन्हें कहां पहुंचाया आप सब जानते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मतदान के बाद और चुनाव परिणाम आने के बाद आप सब के प्रश्नों का मैंने जवाब दिया है. अब इन प्रश्नों का कोई मतलब नहीं है. बिहार की जनता ने काम के आधार पर हमलोगों को अपना समर्थन दिया है. हमलोग चुनाव के बाद फिर से लोगों की सेवा में लग गये हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने पर एनडीए में किसी प्रकार की कटुता से इन्कार करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में सांकेतिक रूप से शामिल नहीं होने का निर्णयजदयू पार्टी का है. उन्होंने कहा, भाजपा के साथ आपसी संबंध में कोई कटुता नहीं है. जैसे पहले सौहार्द का संबंध था वैसाही आज भी है. लोक संवाद कार्यक्रम के बाद प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि चुनाव के समाप्त होने के साथ ही उनकी दिलचस्पी काम में रहती है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के नहीं शामिल होने पर बिहार के विकास पर प्रभाव पड़ने की किसी भी संभावना से इन्कार करते हुए उन्होंने कहा कि अगलेपांच साल तक ऐसे सभी पिछड़े राज्यों के विकास के लिए पहल की जानी चाहिए, जिससे ऐसे पिछड़े राज्यों को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाया जा सके.
मुजफ्फरपुर में फैली बीमारी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) से हो रही बच्चों की मौत पर मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले पर नजर रख रहा है. उन्होंने कहा, लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक कराना होगा. हर साल बच्चे काल की गाल में समा जा रहे हैं. ये चिंता का विषय है. इससे पहले, मुख्यमंत्री ने लोकसंवाद कार्यक्रम में विभिन्न मुद्दों पर लोगों के सुझाव सुने.