पटना : जलसंकट से जूझ रहे राज्य के 17 जिलों में जल संरक्षण और सिंचाई योजना पर कृषि विभाग चालू वित्तीय 2019-20 में 320 करोड़ रुपये खर्च करेगा. पीएम कृषि सिंचाई योजना प्रति बूंद के नाम से यह योजना राज्य के बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, नवादा, नालंदा, पटना, गया, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद कैमूर व रोहतास जिले में चलायी जायेगी. इन जिलों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है. पेयजल संकट तो है ही पटवन की समस्या भी उत्पन्न हो गयी है.
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जलसंकट वाले 17 जिलों में चलेगी प्रति बूंद सिंचाई योजना, पेयजल के साथ गहरा गई है पटवन की समस्या
पटना : जलसंकट से जूझ रहे राज्य के 17 जिलों में जल संरक्षण और सिंचाई योजना पर कृषि विभाग चालू वित्तीय 2019-20 में 320 करोड़ रुपये खर्च करेगा. पीएम कृषि सिंचाई योजना प्रति बूंद के नाम से यह योजना राज्य के बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, नवादा, नालंदा, पटना, गया, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद कैमूर व […]
ग्राउंड वाटर लेवल नीचे चले जाने की वजह से बोरिंग भी फेल हो जा रही है. अन्य प्राकृतिक जल स्रोत भी अच्छी स्थिति में नहीं है. विभाग का अनुमान है कि इन योजनाओं के कार्यान्वयन से 5378 एकड़ में अतिरक्ति सिंचाई हो सकेगी. पौधरोपण से हरियाली भी आयेगी और भूमि का संरक्षण भी होगा.राज्य के जिन जिलों में सिंचाई के लिए किसान वर्षा पर आश्रित हैं.
वहां पर जलछाजन बहुत ही कारगर है. कृषि विभाग का भूमि संरक्षण निदेशालय चालू वित्तीय वर्ष 2019.20 में राज्य के 17 पहाड़ी जिलों में जल स्रोतों व सिंचाई स्रोत को डेवलप कर उसे बचाने और ग्राउंड लेवल वाटर को मेंटेंन रखने के लिए 320.52 करोड़ खर्च करेगा. सबसे अधिक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जलछाजन विकास कार्यक्रम पर 218. 85 करोड़ खर्च होंगे.
यह योजना राज्य के 14 जिले में चलेगी. इस योजना के तहत वर्षा के जल को संरक्षित रखने के लिए तालाब चैक डैम आदि का नर्मिाण होगा. पेड़ पौधे भी लगाये जायेंगे. जल को संग्रह कैसे किया जायेगा इसके लिए लोगो को जागरूक किया जायेगा. कम पानी में कैसे खेती हो सकती है किन-किन फसलों की खेती हो सकती है, इसकी भी जानकारी मिलेगी.
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