अनुपम कुमार , पटना : राजवंशीनगर से चितकोहरा की दूरी महज डेढ़-दो किमी है, पर यदि अपना वाहन नहीं है तो आठ से 10 किमी लंबा चक्कर लगा कर वहां पहुंचना पड़ता है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट रूट से सीधे नहीं जुड़े होने की वजह से लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.
यह स्थिति सिर्फ इन दो कॉलोनियों की नहीं, बल्कि दर्जनों ऐसी कॉलोनियां की है,जो बरसों पहले बसीं, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट से अब तक नहीं जुड़ पायी हैं. इस कारण एक जगह से दूसरी जगह जाने में लोगों को लंबा रास्ता तय करना पड़ता है. इससे समय बर्बाद होता है.
रिजर्व ऑटो ही सहाराउसमें भी है आफत
शहर की कुछ प्रमुख सड़कों के किनारे स्थित मुहल्लों को छोड़ दें तो अन्य किसी भी जगह
जाने के लिए लोग रिजर्व ऑटो सेवा पर ही निर्भर हैं. लेकिन इनकी स्थिति भी बेहतर नहीं है. इसके लिए भी लोगों को पैदल या बाइक से मुख्य सड़क तक जाना पड़ता है और वहां से बुला कर ऑटो लाना पड़ता है, तब जाकर काम हो पाता है.
पीली सिटी राइड बसें चढ़ने लायक नहीं
पटना शहर में 365 सिटी राइड बसें चलती हैं. लेकिन इनमें से ज्यादातर चलने लायक नहीं है. जर्जर सीट के कारण बैठना और कम ऊंचाई के कारण गर्दन सीधा कर खड़ा रहना मुश्किल है. भीड़ इतनी रहती है कि गेट से बाहर तक लोग लटके रहते हैं और बुजुर्गों और महिलाओं के लिए तो भीतर घुसना भी मुश्किल होता है.
बीएसआरटीसी की 100 बसें भी जरूरत के हिसाब से कम पड़ रहीं
लगभग एक वर्ष पहले बीएसआरटीसी की नगर सेवा शुरू हुई. ये बसें पीली सिटीराइड बसों की तुलना में बेहतर हैं, लेकिन अब तक केवल 13 रूटों में इनका परिचालन शुरू हो सका है और बसों की संख्या भी 100 तक ही पहुंची है जो शहर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
बाइपास पार कॉलोनियां बसीं, पर नहीं शुरू हुआ पब्लिक ट्रासंपोर्ट
बाइपास पार पिछले 10-15 वर्षों में कई कॉलोनियां बसी हैं. आने जाने के लिए सड़कें भी बन गयी हैं, लेकिन अब तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू नहीं हुआ है. खासकर बेऊर मोड़ से आगे महावीर कॉलोनी, हरनीचक, हुलास विहार, साईंचक, कृष्ण विहार कॉलोनी समेत कई सघन आबाद कॉलोनियां बस गयी हैं. वहां बड़ी संख्या में कामकाजी लोग भी रहते हैं, जिन्हें हर दिन कामकाज के सिलसिले में बाहर आना जाना पड़ता है.
जिन लोगों के पास अपना वाहन नहीं है, उन्हें यहां आने जाने मेंं बहुत परेशानी होती है. ऑटो रिक्शा प्रतिदिन रिजर्व करना मुश्किल है. रामकृष्णा नगर, न्यू जगनपुरा और जगनपुरा का भी अब तक काफी विकास हो चुका है. पूरे क्षेत्र की आबादी बढ़ कर 50 हजार के पार जा चुकी है. यहां हजारों लोग आते-जाते हैं, पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है.
हर क्षेत्र में और हर समय जरूरत पड़ने पर उपलब्ध नहीं होते हैं कैब
ओला और उबर जैसे ऑनलाइन कैब से थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन उनकी संख्या अभी सीमित है. हर क्षेत्र में और हर समय ये जरूरत पड़ने पर उपलब्ध नहीं होते हैं. ये रिजर्व ऑटो की तुलना में महंगे पड़ते हैं. इन्हें ऑनलाइन मैसेज देकर बुलाना पड़ता है, जिसके लिए स्मार्ट फोन जरूरी है. एप डाउनलोड करना और उसे ऑपरेट करना सब के लिए आसान भी नहीं है.
लाइफ लाइन हैं, पर आपस में नहीं जुड़ीं
शहर में लाइफ लाइन मानी जानेवाली तीन प्रमुख सड़कें बेली रोड, बांकीपुर-दीघा रोड और खगौल रोड है. पर इन तीनों के बीच आपसी संपर्क बहुत कम है. जहां है भी वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चलता है. केवल आशियाना दीघा रोड और फ्रेजर रोड दो अपवाद है. इनमें फ्रेजर रोड में सिटी बस सेवा और ऑटो रिक्शा जबकि आशियाना दीघा रोड में ऑटो और इ-रिक्शा चलती है.
आठ रूटों में स्वीकृति के बावजूद नहीं चलती नगर सेवा
क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार ने लगभग पांच वर्ष पहले शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के विकास के लिए 36 रूटों को मंजूरी दी थी, लेकिन अब तक इनमें से केवल 28 में ही बसों का परिचालन शुरू हो सका है.
कंकड़बाग टेंपो स्टैंड से डॉक्टर्स कॉलोनी गोलंबर
कंकड़बाग टेंपू स्टैंड से राजेंद्र नगर फ्लाइओवर के छोर पर स्थित डॉक्टर्स कॉलोनी गोलंबर की दूरी महज एक किमी है, लेकिन दोनों के बीच सीधी ऑटो सेवा नहीं होने से लोगों को पहले कंकड़बाग टेंपू स्टैंड से कॉलोनी मोड़ और फिर ऑटो बदल कर वहां से राजेंद्रनगर पुल के नीचे तक आना पड़ता है.
चांदमारी रोड से डॉक्टर्स कॉलोनी
चांदमारी रोड गली नंबर 4 से डॉक्टर्स कॉलोनी को सीधे रास्ते से जाने पर दोनों के बीच की दूरी केवल डेढ़ किमी है. लेकिन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के कम विकास के कारण लोगों को पहले कंकड़बाग मेन रोड पैदल आना पड़ता है, फिर वहां से ऑटो रिक्शा से कंकड़बाग टेंपू स्टैंड और वहां से कुछ दूर पैदल चल हनुमान नगर वाले ऑटो से मलाही पकड़ी होते डॉक्टर्स कॉलोनी गोलंबर जाना पड़ता है. इस क्रम में तीन-चार किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.
संजय नगर से कंकड़बाग
संजय नगर से कंकड़बाग टेंपू स्टैंड के आसपास जाने वाले लोगों को संजय नगर से पैदल पोस्टल पार्क चौराहा, फिर वहां से ऑटो रिक्शा से चिड़ैयाटाड़ चौराहा और वहां से ऑटो से कंकड़बाग टेंपो स्टैंड जाना पड़ रहा है. इस प्रकार लगभग सवा किमी की दूरी पूरी करने में ढाई किमी का चक्कर लगाना पड़ता है.