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बाल संरक्षण आयोग : न अध्यक्ष हैं न सचिव, कैसे मिले न्याय

पटना : बिहार बाल संरक्षण आयोग में इस समय न अध्यक्ष हैं, न सचिव. लिहाजा संवेदनशील मसलों से जुड़े फैसले अटके हुए हैं. बच्चों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है. करीब दो दर्जन से अधिक संवेदनीशल मसले कुछ माह से लंबित हैं.आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चुनाव से पहले अध्यक्ष के रिटायर्ड हो […]

पटना : बिहार बाल संरक्षण आयोग में इस समय न अध्यक्ष हैं, न सचिव. लिहाजा संवेदनशील मसलों से जुड़े फैसले अटके हुए हैं. बच्चों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है. करीब दो दर्जन से अधिक संवेदनीशल मसले कुछ माह से लंबित हैं.आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चुनाव से पहले अध्यक्ष के रिटायर्ड हो जाने और चुनाव के वक्त सचिव के तबादले से आयोग परिसर में कमोबेश सन्नाटा पसरा है.

सबसे अधिक मामले स्कूल और जुबेनाइल जस्टिस से जुड़े हैं. अकेले स्कूलों के लंबित मामले करीब दर्जन भर से अधिक हैं. इसमें बच्चों ने स्कूली प्रताड़ना की शिकायतें कर रखी हैं. यही नहीं आरटीइ के तहत हुए एडमिशन में बरते गये सौतेले व्यवहार की शिकायतें भी हैं. दूसरी तरफ पुलिस की ज्यादतियों की शिकायतें भी
काफी हैं.
आयोग के सदस्यों ने सुनवाई के लिए बनाया विशेष सिस्टम
अध्यक्ष और सचिव के अभाव में कम-से-कम सुनवाई बाधित न हो, इसके लिए आयोग के सदस्यों ने आपसी सहमति से एक सिस्टम भी तैयार किया है. इस सिस्टम में एक समिति बनायी है, जो मामलों को संज्ञान में लेगी. जांच कर प्रतिवेदन सौंपेंगी. दूसरी समिति उस प्रतिवेदन की समीक्षा कर उचित निर्णय लेगी. हालांकि अध्यक्ष की सहमति के बिना निर्णय लेना संभव नहीं है, इसलिए मामले लंबित हैं.

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