आनंद तिवारी
दवाओं की कमी किसी भी पार्टी के लिए चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रही है
पटना : पटना सहित पूरा बिहार इन दिनों चुनावी माहौल में रम गया है. गर्मी में नेताओं व उनके कार्यकर्ता जनता का प्रचार थम नहीं रहा और घर-घर वोट मांगने जा रहे हैं.
बेरोजगारी, गरीबी, जाति और कृषि संकट के मुद्दों को आगे लाकर नेता जनता के बीच पहुंच रहे हैं. लेकिन शहर के कोई भी पाटी के ऐसे एक भी नेता नहीं हैं जो सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत के बारे में बात करते हो. स्थिति यह है कि अस्पतालों में बदहाली तो दूर मुफ्त में मिलने वाली दवाएं मरीजों को नसीब नहीं हो पा रही है. इस कारण सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
आइजीआइएमएस में दवाओं को लेकर दोहरी मार
आइजीआइएमएस में कहने को दो दवा दुकान है. लेकिन, दोनों दवा दुकान से मरीज दवा खरीद ठगी महसूस कर रहे हैं. क्योंकि परिसर में संचालित अमृत फॉर्मा दवा दुकान में 60 से 70 प्रतिशत सस्ते दरों पर दवाएं देनी है. लेकिन यहां 30 से 40 तरह की दवाएं ही मरीजों को मिल रही हैं. बाकी दवाओं के लिए मरीज बाहर से या फिर कैंटीन के बगल में संचालित एनएपी मेडिकल दवा दुकान में दवा खरीदते हैं.
एनपी मेडिकल हाल में मरीजों को प्रिंट रेट से दवाएं मिलती है नतीजा मजबूरी में मरीजों को महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैै. जबकि अस्पताल में पिछले कई सालों से सस्ते दरों पर जेनेरिक दवा दुकान खोलने की योजना पर काम चल रहा है. आज तक दवा दुकान नहीं खुली.
कहीं 30 तो कहीं 10 तरह की मिल रही हैं दवाएं
शहर के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की तमाम दावों की पोल खोल रहे हैं. विभाग ने सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में दवाई देने का वादा किया था, लेकिन तय मानक के अनुसार दवाएं मरीजों को नहीं मिल रही है.
स्थिति यह है कि मरीजों को डॉक्टरों द्वारा बाहर से दवाएं मंगवाने का भी मामला सामने आया है. स्थिति यह है कि पीएमसीएच में 132 की जगह सिर्फ 30 तरह की दवाएं मिल रही हैं. तो गर्दनीबाग में 50 की जगह 35 और राजेंद्र नेत्रालय में 70 प्रतिशत दवाएं मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही है. यह स्थिति शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में है.