पटना: पशुओं का इलाज पशु पालकों के दरवाजा पर करने की योजना दम तोड़ रही है. विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की सलाह पर पांच करोड़ की लागत से खरीदी गयी 50 एंबुलेंस बिना चालक की नियुक्ति और किसी तकनीकी सुविधा के ही जिलों को भेज दिया गया.
इसे कारण पशुओं के इलाज के बजाय एंबुलेंस जिलों के पशुपालन विभाग के लिए शोभा की वस्तु बनी हुई है. विभाग की तैयारी के अनुसार एंबुलेंस में पशुओं की बीमारी की जांच के लिए सभी प्रकार की बीमारी की जांच के लिए पैथोलोजिकल लैब, एक्स-रे मशीन, दवाओं की व्यवस्था और एक तकनीकी रूप से जानकार को नियुक्त करना था, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी. विभागीय अधिकारी ने बताया कि एंबुलेंस की खरीद एक साल पूर्व ही की गयी थी. इसे सुविधा संपन्न करने के नाम पर सभी 50 एंबुलेंस कंपनी के शो रूम में पड़ा रहा. अधिकारी ने बताया कि विभागीय दबाव के कारण इसे बिना सुविधा के ही जिलों को भेज दिया गया.
पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों की सलाह पर खरीद की गयी एंबुलेंस से जिले में कहीं भी पशुओं की चिकित्सा की सभी सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय किया गया था. जिसमें पशुओं को एक्स-रे तक कराने की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया था. विभागीय मंत्री वैद्यनाथ सहनी ने स्वीकार किया कि विभाग के पूर्व के मंत्री के निर्देश बिना चालक की नियुक्ति के ही एंबुलेंस की खरीद हुई. इसमें न ही पैथोलोकिल लैब की सुविधा है और न ही अन्य कोई सुविधा.
मंत्री सहनी ने कहा कि एक माह के अंदर चालक की नियुक्ति का निर्णय किया गया है. 9200 रुपये प्रतिमाह की वेतन पर संविदा के आधार पर नियुक्ति की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि एंबुलेंस की सभी सुविधाएं जल्द ही एंबुलेंस में उपलब्ध करा दिया जायेगा.