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बिहार में विधायक-विधान पार्षद नहीं बता रहे अपनी संपत्ति

कौशिक रंजन पिछले पांच साल के दौरान सभी एमएलसी और एमएलए ने सार्वजनिक नहीं किया संपत्ति का ब्योरा पटना : बिहार में वर्ष 2011 से ही सभी स्तर के जन प्रतिनिधि से लेकर लोक सेवकों तक को अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का कानून बनाया गया है. इन्हें अपनी संबंधित विभागीय वेबसाइट पर भी […]

कौशिक रंजन
पिछले पांच साल के दौरान सभी एमएलसी और एमएलए ने सार्वजनिक नहीं किया संपत्ति का ब्योरा
पटना : बिहार में वर्ष 2011 से ही सभी स्तर के जन प्रतिनिधि से लेकर लोक सेवकों तक को अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का कानून बनाया गया है. इन्हें अपनी संबंधित विभागीय वेबसाइट पर भी इन्हें अपलोड करना है.
परंतु इस नियम के तहत अधिकांश जन प्रतिनिधियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने में दिलचस्पी नहीं है, चाहे वे विधान पार्षद हो या विधायक. ये लोग अपनी संपत्ति जनता के सामने सार्वजनिक करने में रुचि नहीं दिखाते हैं. इसी का नतीजा है कि पिछले पांच साल के दौरान सभी एमएलसी या एमएलए ने संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है. महज कुछ जन प्रतिनिधियों की संपत्ति का ब्योरा दोनों सदनों की आधिकारिक वेबसाइट पर देखी जा सकती है.
हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी समेत कुछ लोगों की संपत्ति का ब्योरा प्रत्येक साल का मौजूद है. इन लोगों की संपत्ति का ब्योरा शुरुआत से ही अब तक का प्रत्येक वर्ष का आसानी से मिल जाता है. परंतु बड़ी संख्या में ऐसे जनप्रतिनिधि भी हैं, जिनकी संपत्ति का ब्योरा शुरू से एक बार भी नहीं देखने को मिला है.
अगर विभागीय मंत्रियों की बात की जाये, तो उनका ब्योरा संबंधित विभाग की वेबसाइट के अलावा मंत्रिमंडल सचिवालय की वेबसाइट पर मिल जाता है.
परंतु सामान्य विधान पार्षद या विधायकों की संपत्ति का ब्योरा नहीं मिलता है. राज्य के उच्च सदन विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 75 और निम्न सदन विधान सभा में सदस्यों की संख्या 243 है. सरकारी प्रावधान के अनुसार, इन्हें प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के अंत तक संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक कर देना अनिवार्य है.
इन्होंने बतायी संपत्ति
विधान परिषद सदस्य (एमएलसी)
2015 33
2016 47
2017 5
2018 15
2019 9
विधान सभा
सदस्य (एमएलए)
2015 28
2016 60
2017 64
2018 43
2019 5
2019 में इन एमएलसी-एमएलए ने दिया संपत्ति का ब्योरा
विधान पार्षद :- नीतीश कुमार, मो. हारुण रसीद, संजय कुमार सिंह, ललन कुमार सर्राफ, डॉ. राम बचन राय, केदान नाथ पांडेय, सोनेलाल मेहता, कृष्ण कुमार सिंह और राम लखन राम ‘रमण’
विधायक :- श्याम बाबू प्रसाद यादव, मनोहर प्रसाद सिंह, रत्नेश सदा, विजय कुमार चौधरी और कुंती देवी
जिन सदस्यों ने संपत्ति की जानकारी नहीं दी है, उन्हें रिमाइंडर दिया जा रहा है. विधानसभा सचिवालय उन्हें एक से दो दिनों में रिमाइंडर जारी करेगा. सभी को निर्धारित समय में ब्योरा सार्वजनिक करना है.
विजय कुमार चौधरी, अध्यक्ष बिहार विधानसभा
सरकार को रोजगार और परिवार नियोजन पर भी करना चाहिए काम
सुबह साढ़े आठ बजे का समय. मुरलीचक के न्यूटन गार्डेन अपार्टमेंट के बेसमेंट की जगह. ये क्षेत्र पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का अंतिम छोर है.
सुबह में अपार्टमेंट के लोग वहीं कुर्सी लगाकर चुनावी चर्चा को छेड़े हुए थे. प्रभात खबर की टीम जब वहां पहुंची तो, मीडिया का साथ पाकर चर्चा ने और जोर पकड़ लिया. कोई मोदी के काम की तारीफ में लगा था, तो किसी का कहना था कि पांच वर्ष में सांसद शत्रुधन सिन्हा तो दिखे ही नहीं. देखिए, बगल में पाटलिपुत्र लोकसभा है.
काम से कम हर मौके पर सांसद रामकृपाल आते तो हैं. किसी ने तत्काल बात काटा और बोले, शहर में क्या देख रहे हैं, गांव में जाइये, बिहार में एक बार फिर जातीय समीकरण ही काम आने वाला है. एक सज्जन बोल पड़े, तो दुर्भाग्य होगा, इतना काम करने के बाद भी कोई वोट ना करे तो.
चुनाव की चर्चा इतनी जोरों पर है कि अगर रास्ते में फलां बाबू मिल गये, तो केवल पांच मिनट में ही पूरे पांच साल के कामों की समीक्षा कर दी जा रही है. चुनाव ने पूरे माहौल में गजब की समानता पैदा कर दी है.
इसी मूड को भांपने के लिए प्रभात खबर बीते दिनों से कई जगहों पर चुनावी चौपाल का आयोजन कर रहा है, ताकि लोग चुनावी मूड में कुछ ऐसे मुद्दों को सामने लायें, तो चल रहे गैर जरूरी मुद्दों बीच काम की बात आगे बढ़े. इसी क्रम में सोमवार को जगदेवपथ के मुरलीपथ स्थित न्यूटन गार्डेन अपार्टमेंट में चुनावी चौपाल का आयोजन किया गया.
इसमें लोगों ने मोदी सरकार के रोजगार नहीं देने की आलोचना की, परिवार नियोजन की उपेक्षा पर सरकार को कोसा, लेकिन कहा कि पांच सालों में बहुत से ऐसे काम शुरू हुए हैं, जिनको पूरा होने के लिए और पांच वर्ष देना होगा, तभी हमें वास्तविक फायदे मिलेंगे.

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