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RJD में सारण सीट पर ऊहापोह की स्थिति, दरभंगा सीट पर राजद और कांग्रेस दोनों कर रहा दावेदारी
पटना : लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का नामांकन समाप्त हो गया, लेकिन महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच अब भी दर्जन भर सीटों का पेच सुलझ नहीं पाया है. सबसे अधिक सीटें उत्तर बिहार की हैं, जहां से लड़ने वाली पार्टी व उम्मीदवारों के नाम अब तक तय नहीं हो पाये हैं. इन […]
पटना : लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का नामांकन समाप्त हो गया, लेकिन महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच अब भी दर्जन भर सीटों का पेच सुलझ नहीं पाया है. सबसे अधिक सीटें उत्तर बिहार की हैं, जहां से लड़ने वाली पार्टी व उम्मीदवारों के नाम अब तक तय नहीं हो पाये हैं. इन सीटों में दरभंगा को लेकर औपचारिक एलान नहीं होने से राजद और कांग्रेस दोनों ही दलों के कार्यकर्ता दुविधा में हैं. राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने चार से सात अप्रैल के बीच वहां से नामांकन का संकेत दिया है.
वहीं, कांग्रेस अब भी दरभंगा पर अपना दावा जता रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा ने मंगलवार को कहा कांग्रेस हर हाल में यह सीट चाहती है. मधुबनी की सीट पर राजद को उम्मीदवार देना है. यहां पार्टी के दो मुसलिम चेहरे पूर्व केंद्रीय मंत्री मो एए फातमी और विस्फी के मौजूदा विधायक फैयाज अहमद टिकट की दौड़ में हैं. जिले की दूसरी सीट झंझारपुर में भी राजद के ही उम्मीदवार होंगे.
यहां जदयू के रामप्रीत मंडल के मुकाबले राजद विधायक गुलाब यादव और पूर्व मंत्री मंगनीलाल यादव के नाम अंतिम चरण में हैं. राजद का एक खेमा का कहना है कि जदयू के अति पिछड़ा कार्ड के मुकाबले मंगनी लाल मंडल को उम्मीदवार बनाना उचित होगा. सीतामढ़ी सीट रालोसपा के कब्जे में है. रालोसपा सीटिंग सीट के नाम पर सीतामढ़ी मांग रही है.
वहीं, यहां जदयू के मुकाबले राजद के सीताराम यादव, शरद यादव गुट के अर्जुन राय भी जोर लगाये हुए हैं. कांग्रेस को नौ सीटें देने की घोषणा हुई है. पार्टी के तीन उम्मीदवार तय कर दिये गये हैं. छह सीटें और कौन- सी है, कांग्रेस के नेता इस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. सुपौल और सासाराम को लेकर भी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है. दोनों सीटें कांग्रेस कोटे की मानी जाती हैं, पर अब तक किसी भी दल ने इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की है.
नालंदा की सीट हम के कोटे में मानी जा रही है. यहां 2014 के लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे लोजपा के डाॅ सत्यानंद शर्मा के हम से लड़ने की चर्चा है. मगर हम के दूसरे नेता नालंदा की जगह महाराजगंज की सीट चाहते हैं. नालंदा में सातवें चरण में मतदान होना है.
मुजफ्फरपुर सीट पर मुकेश सहनी के नेतृत्ववाली पार्टी वीआइपी का दावा है. लेकिन प्रत्याशी अब तक घोषित नहीं किये गये हैं. वहां से हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी भी दावेदार हैं. शिवहर सीट राजद को जायेगी या कांग्रेस को, ऊहापोह की स्थिति है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा के बेटे अजित झा के अलावा वैशाली से सांसद रह चुके रामा सिंह लोजपा छोड़ने के बाद शिवहर से दावेदार हैं. हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाली लवली आनंद भी यहां सक्रिय हैं.
पूर्वी चंपारण की सीट पर रालोसपा के माधव आनंद पिछले एक साल से राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. दूसरी तरफ, कांग्रेस के अखिलेश सिंह अपनी पत्नी या बेटे को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं. पश्चिम चंपारण में राजद की ओर से राजन तिवारी दावेदार हैं, लेकिन वहां से एनडीए के एक नाराज नेता भी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं.
वाल्मीकिनगर सीट राजद कोटे की है, लेकिन प्रत्याशी घोषित नहीं किये गये हैं. यहां से महेंद्र निषाद और कांग्रेस से पूर्णमासी राम की दावेदारी की चर्चा है.
उजियारपुर लोकसभा सीट रालोसपा के खाते में जाने के आसार हैं. वैसे राजद भी दावा कर रहा. कुशवाहा बहुल इस इलाके से उपेंद्र कुशवाहा के खुद चुनाव लड़ने की चर्चा रही है, जबकि राजद से पूर्व सांसद आलोक मेहता भी वहां से दावेदार हैं. समस्तीपुर सीट कांग्रेस कोटे की है. पूर्व मंत्री अशोक कुमार के नाम की यहां चर्चा है, पर अब तक सीट और उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं होने से महागठबंधन में शामिल दलों के कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
सुपौल सीट कांग्रेस के खाते में गयी है, लेकिन राजद के कुछ नेता इसे मानने को तैयार नहीं हैं. अंदर की कहानी बताती है कि पप्पू यादव पर दबाव बनाये रखने के लिए यह सब कवायद हो रही है. पाटलिपुत्र सीट को लेकर भी स्थिति अभी तक साफ नहीं हुई है. पाटलिपुत्र से मीसा भारती के अलावा भाई वीरेंद्र के नाम की भी चर्चा है. भाई वीरेंद्र कहते हैं कि वह पार्टी के निर्णय के साथ हैं. पार्टी जो निर्णय करेगी उसका वह पालन करेंगे.
जल्द ही सुलझ जायेगा दरभंगा सीट का सवाल.
—तेजस्वी यादव
किसी और को दरभंगा सीट देने का सवाल ही नहीं है.
—डाॅ मदन मोहन झा
कहीं घटक दलों के बीच तो कहीं उम्मीदवारी को लेकर जिच
दरभंगा : राजद और कांग्रेस दोनों की दावेदारी
मधुबनी : सीट राजद के खाते में जायेगी, पर पार्टी के दो मुस्लिम नेताओं की दावेदारी
झंझारपुर : यह सीट भी राजद के खाते में रहेगी, पर उम्मीदवार चयन को लेकर ऊहापोह
सीतामढ़ी : रालोसपा की सीटिंग सीट, पर राजद व लोजद के नेताओं की भी दावेदारी
नालंदा : हम के खाते में, लेकिन पार्टी के कुछ नेता इसकी जगह महाराजगंज सीट चाहते हैं
मुजफ्फरपुर : वीआइपी का दावा, पर कांग्रेस भी चाहती है लड़ना
शिवहर : राजद और कांग्रेस दोनों की दावेदारी
पूर्वी चंपारण : रालोसपा का दावा, लेकिन कांग्रेस के एक नेता अपने परिजन को लड़ाना चाहते हैं
वाल्मीकिनगर : राजद व कांग्रेस दोनों का दावा
उजियारपुर : रालोसपा के खाते में जाने के आसार, पर राजद का भी दावा बरकरार
सुपौल : कांग्रेस की सीटिंग सीट, पर राजद के कुछ नेता मानने को तैयार नहीं
राजद में सारण सीट पर ऊहापोह की स्थिति
महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल राजद में अब भी आधा दर्जन सीटों को लेकर ऊहापोह की स्थिति है. राजद ने अब तक दूसरे चरण तक के उम्मीदवारों के नामों का औपचारिक एलान किया है. राजद कार्यालय से लेकर राबड़ी आवास तक पार्टी कार्यकर्ता अपने- अपने नेताओं को टिकट देने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे हैं. अब सारण सीट पर भी मामला फंस गया है.
सारण सीट लालू परिवार की परंपरागत सीट रही है. लालू प्रसाद पहली बार और आखिरी बार वहीं से सांसद रहे हैं. इस बार लालू प्रसाद के समधी और पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय के पुत्र चंद्रिका राय के चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा है. इस बीच दबी जुबान से राजद के अंदर ही चंद्रिका राय की उम्मीदवारी का विरोध शुरू हो गया है.
पहले कहा जा रहा था कि स्वास्थ्य कारणों से राबड़ी देवी चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं. लेकिन पार्टी का एक मजबूत तबका यह मान कर चल रहा कि जेल में पार्टी अध्यक्ष के होने के चलते राबड़ी देवी ही सहानुभूति वोट पाकर चुनाव जीत सकती हैं. सारण से सटे महाराजगंज में भी ऊहापोह की स्थिति है. यहां से प्रभुनाथ सिंह के बेटे रंधीर सिंह के अलावा एक बड़े गैर राजनीतिक परिवार की भी नजर हैं.
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