पटना : बिहार कंप्यूटर शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की तमाम सदस्यों को अभी भी उम्मीद है कि सरकार की कोई चिट्ठी निकलेगी, जिसमें लिखा होगा कि आइए फिर सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर पढ़ाना शुरू कीजिए. इसी उम्मीद में वे 550 दिन से धरने पर बैठे हैं. 22 अगस्त, 2017 से अब तक वे गर्दनीबाग में धरना […]
पटना : बिहार कंप्यूटर शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की तमाम सदस्यों को अभी भी उम्मीद है कि सरकार की कोई चिट्ठी निकलेगी, जिसमें लिखा होगा कि आइए फिर सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर पढ़ाना शुरू कीजिए. इसी उम्मीद में वे 550 दिन से धरने पर बैठे हैं. 22 अगस्त, 2017 से अब तक वे गर्दनीबाग में धरना दे रहे हैं.
एसोसिएशन की एक सूत्री मांग रही है कि उन्हें फिर से सेवा में लिया जाये. उनके सदस्य बे-नागा एक टेंट में शिफ्ट बना कर दिन-रात बैठे रहते हैं. एसोसिएशन के 1800 से अधिक सदस्य धरने का खर्चा उठाते हैं. धान के पुआल पर पड़े उनके गद्दे सालभर से धाेये नहीं गये हैं. लेकिन, उनमें संघर्ष की खुशबू महसूस की जा सकती है. एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि हमारे दो साथी संघर्ष करते हुए दुनिया छोड़ चुके हैं.
हालांकि, उनकी मौत एक्सीडेंट में हुई थी. एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि अधिकतर सदस्य की उम्र सीमा सरकारी नौकरी के लिए खत्म हो चुकी है. हालांकि, हमें उनका नैतिक समर्थन अभी भी मिल रहा है.
जानकारी हो कि इन पूर्व कंप्यूटर शिक्षकों को अस्थायी तौर पर 2008 से प्रभावी किये प्रोजेक्ट के तहत भर्ती किया गया था. प्रोजेक्ट खत्म होते ही इन शिक्षकों को सड़क पर खड़ा कर दिया गया. इन पूर्व कंप्यूटर शिक्षकों का कहना है कि बेशक प्रोजेक्ट खत्म हुआ है.
लेकिन, कंप्यूटर एजुकेशन बंद नहीं हुई है. इसलिए हमें सेवा से बाहर किया जाना अन्याय है. बता दें कि इस संगठन के सदस्यों ने राज्यपाल व राष्ट्रपति से इच्छा मौत भी मांगी थी. लेकिन, इसकी सख्त मनाही कर दी गयी थी.