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बिहार के इन छह विभूतियों को मिला पद्म पुरस्कार

पटना : केंद्र सरकार ने बिहार की छह विभूतियों को पद्म पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की है. गृह मंत्रालय की ओर से शुक्रवार की देर शाम जारी सूची में मधुबनी के भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव को पद्म भूषण पुरस्कार के लिए चयन किया गया है. जबकि, पांच अन्य को पद्मश्री पुरस्कार दिये जायेंगे. […]

पटना : केंद्र सरकार ने बिहार की छह विभूतियों को पद्म पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की है. गृह मंत्रालय की ओर से शुक्रवार की देर शाम जारी सूची में मधुबनी के भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव को पद्म भूषण पुरस्कार के लिए चयन किया गया है. जबकि, पांच अन्य को पद्मश्री पुरस्कार दिये जायेंगे. इनमें मिथिला चित्रकारी के क्षेत्र में पिछले आठ दशक से कार्य करने वाली मधुबनी के रांटी की निवासी गोदावरी दत्त, दलित बच्चों की शिक्षा दिलाने के क्षेत्र में कार्य करने वाले पूर्व आइपीएस अधिकारी ज्योति कुमार सिन्हा, पश्चिम चंपारण के मूल निवासी फिल्म अभिनेता मनोज वाजपेयी(महाराष्ट्र से चयनित), मुजफ्फरपुर की किसान चाची राजकुमारी देवी और पश्चिम चंपारण जिले के रामनगर की भाजपा विधायक भगिरथि देवी के नाम शामिल हैं.

गांवों के गरीब-गुरबों का बढ़ा मान, मिला सम्मान : हुकुमदेव
मधुबनी के भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार दिया जाना गर्व की बात है. गावों में रहने वाले गरीब-गुरबों को इससे गौरव महसूस होगा. करिया मुंडा और मेरे जैसे लोग इसी परिवेश से आते हैं. उन्होंने कहा कि पद्म भूषण अवार्ड मिलने का आभास पहले से था, लेकिन शुक्रवार को इसकी आधिकारिक जानकारी मिली. यह अच्छा फैसला है, व्यापक है. ज्यादातर पिछड़े और दलित तबके के लोगों का इसके लिए चयन किया गया है. सरकार ने यह साबित कर दिया है कि उनकी फोकस में दलित, पिछड़े और गांवों में रहने वाले गरीब लोग ही हैं.

पद्मश्री पुरस्कार से खुश हैं : भागीरथी देवी
राज्य में भाजपा विधायक भागीरथी देवी को समाज सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जायेगा. उनके निजी सचिव राजेश ने बताया कि भागीरथी देवी को शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से फोन पर सम्मान के लिए चयन की जानकारी दी गयी. उनसे पूछा गया कि क्या वे सम्मान पाकर खुश होंगी? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि वे खुश हैं. इसके बाद उन्हें बताया गया कि सम्मानित होने के लिए उन्हें आमंत्रण की सूचना दी जायेगी.

मिथिला पेंटिंग करना एक साधना करने जैसा है : गोदावरी दत्ता
मैं तो बस अपना काम करती रही. इस बारे में कभी सोचा ही नहीं कि मुझे यह सम्मान भी मिलेगा. बस एक ही धुन थी कि कैसे मिथिला पेंटिंग के लिए बेहतर से बेहतर करना है. मैं बस लगातार अपने काम को करने में लगी रही. ये बात भी है कि सभी लोग मुझसे प्यार करते हैं. लोगों को यह तमन्ना थी कि मुझे यह सम्मान मिले. आज लोगों की तमन्ना भी पूरी हो गयी. उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग महज एक पेंटिंग नहीं है. एक साधना करने के जैसा है. जो जितना डूबेगा, बेहतर करेगा.

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