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बिहार के निजी बीएड कॉलेज नहीं करते नियम-कायदे का पालन

पटना : बिहार में निजी बीएड कॉलेजों की संख्या बढ़कर 323 के आसपास पहुंच गयी है. जिस तेजी से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है, उसी तेजी से इनकी मनमानी भी बढ़ रही है. 25 फीसदी से ज्यादा कॉलेज तमाम नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं. इनकी समुचित मॉनीटरिंग करने की जिम्मेदारी मुख्य […]

पटना : बिहार में निजी बीएड कॉलेजों की संख्या बढ़कर 323 के आसपास पहुंच गयी है. जिस तेजी से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है, उसी तेजी से इनकी मनमानी भी बढ़ रही है. 25 फीसदी से ज्यादा कॉलेज तमाम नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं. इनकी समुचित मॉनीटरिंग करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से उस संबंधित विश्वविद्यालय की है, जिससे ये संबद्धता प्राप्त करके संचालित होते हैं. परंतु, विश्वविद्यालय के स्तर पर भी इनकी सही से मॉनीटरिंग नहीं होती है. विश्वविद्यालय के स्तर पर इनकी जबरदस्त सेटिंग होने के कारण इनका कुछ नहीं बिगड़ता है. एक ही भवन में दो अलग-अलग विश्वविद्यालयों से मान्यता लेकर कॉलेज चलाते हैं.

नवंबर महीने में राजभवन ने मनमानी करने वाले 39 बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द करने से संबंधित अनुशंसा संबंधित विश्वविद्यालयों को दी थी, लेकिन अभी तक सभी कॉलेजों की मान्यता रद्द नहीं हुई है. इसमें मगध विवि के अधीन 23 कॉलेज, मजहरूल हक अरबी-फारसी विवि के अंतर्गत 11 और पाटलिपुत्र विवि में पांच कॉलेज शामिल हैं. इन कॉलेजों पर बीएड पोस्ट नामक एप पर रोजाना क्लास की फोटो अपलोड नहीं करने के अलावा अन्य स्तर पर मनमानी का आरोप है. फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है.
एक भवन में दो कॉलेज, तो कहीं निजी स्कूल के साथ चलता कॉलेज
सिर्फ पटना जिला और इसके आसपास चलने वाले निजी बीएड कॉलेजों की मनमानी और गड़बड़ी की बात करें, तो कई तरह की बात सामने आती है. संपतचक के पास चलने वाले एक निजी बीएड कॉलेज का भवन चार मंजिला है और इस पर दो नाम को मिलाकर एक बोर्ड लगा हुआ है. बाहर से देखने में तो यह एक कॉलेज ही लगता है, लेकिन कागज पर दो कॉलेज चलते हैं. कागज पर दोनों कॉलेज अलग हैं और सिर्फ इनके नाम मिलते-जुलते हैं. एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) की वेबसाइट पर इनका पता भी अलग-अलग दिखाया गया है. जबकि, हकीकत में तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए दोनों कॉलेज इसी एक भवन में चलते हैं.
निजी स्कूल में कॉलेज
गौरीचक के पास चलने वाले एक बीएड कॉलेज के पास तो अपना भवन ही नहीं है. हकीकत में वह एक निजी स्कूल के भवन में चलता है. जिस नाम से निजी स्कूल संचालित होता है, उसी नाम से निजी बीएड कॉलेज भी संचालित है. इसी तरह धनरूआ से थोड़ी दूरी पर एक नामचीन व्यक्ति का बीएड कॉलेज है, जिसके एक भवन में दो या तीन बीएड कॉलेज संचालित होते हैं. कॉलेज में न तो कोई शिक्षक है और न ही कोई अन्य सुविधाएं. सिर्फ भवन ही खड़े हैं, जिनके कमरे हमेशा बंद रहते हैं. किसी निरीक्षण के दौरान ही इसका ताला खुलता है कागज पर औपचारिकताएं पूरी कर फिर से बंद हो जाता है.
अन्य जिलों के कॉलेजों की हालत ज्यादा खराब
अगर अन्य जिलों की बात करें तो वहां की हालत कुछ ज्यादा ही खराब है. कई कॉलेज फर्जी मान्यता के आधार पर भी डिग्री बांट रहे हैं.

दो अलग-अलग विवि से लेते मान्यता
एक ही भवन में दो या ज्यादा बीएड कॉलेज चलाने वाले इसकी मान्यता अलग-अलग विश्वविद्यालय से ले लेते हैं. इससे किसी एक विश्वविद्यालय को पता ही नहीं चल पाता कि इनके पास पहले से मान्यता भी है. अलग-अलग नाम से वेरीफिकेशन करवा मान्यता ले ली जाती है.

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