पटना : देश के पहले राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 134वीं जयंती पर उसी टीके घोष स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हासिल की थी. इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने देशरत्न की मूर्ति का स्कूल परिसर में अनावरण करते हुए कहा कि यह बेहद ही विशेष अवसर है. जब संविधान सभा की अध्यक्षता करने वाले राजेंद्र बाबू जैसे महान पुरुष के पढ़ने वाले स्कूल में इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस स्कूल को धरोहर में शामिल किया जाये. ताकि, दुनिया को पता चले कि यहीं से उनकी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत हुई थी. यह स्कूल उस समय का है, जब बिहार का जन्म भी नहीं हुआ था. उस समय पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और बिहार संयुक्त रूप से था और राजेंद्र बाबू ने उस समय मैट्रिक में अव्वल स्थान प्राप्त किया था.
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में गांधीजी की 150वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है, जिन लोगों ने वैचारिक आधार पर देश को आजाद कराया अब उनका इस तरह के आयोजनों से पुनर्जन्म हो रहा है. इसी क्रम में सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची मूर्ति बनायी गयी. उन्होंने बिना किसी का नाम लिये कहा कि गांधी से जुड़े जो कुछ लोग थे, वे बाद में किनारे हो गये और उनके बाद कुछ ऐसे लोग सामने आ गये, जिन्होंने अपनी पूरी वंशावली ही बना ली. परंतु राजेंद्र बाबू ने ऐसा कुछ नहीं किया. उनकी कोई पीढ़ी आज राजनीति में नहीं है. राष्ट्रपति आते और चले जाते हैं, लेकिन राजेंद्र बाबू इस श्रेणी में नहीं हैं, जिन्हें भूला दिया जाये.
बिहार की जनता में उनके लिए जागृति पैदा करने की जरूरत है. उन्होंने राज्य सरकार को बधाई देते हुए कहा कि यह स्कूल आज नये आकार में दिख रहा है. राज्यपाल ने बच्चों से कहा कि वे राज्यपाल की जीवनी को हमेशा याद रखें, गर्व महसूस होगा. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ये सोचे कि वे वहां पढ़ाई कर रहे हैं, जहां कभी राजेंद्र प्रसाद पढ़ा करते थे. इस विरासत का उन्हें लाभ मिलेगा. इस दौरान उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि स्नातक पास करने वाली एक लाख से ज्यादा छात्राओं को 25-25 हजार दिये गये है. राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम कर रही है. जिससे हर वर्ग के छात्रों को लाभ मिल रहा है.