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10 वर्षों में निबंधित विवाह का चलन हुआ दोगुना
अनिकेत त्रिवेदी पटना : बीते दशक में सामाजिक परंपरा और उसकी बुनियाद में तेजी से बदलाव हो रहे हैं. दरअसल नयी पीढ़ी अपना विवाहित जीवन न केवल धार्मिक रीति रिवाज और सामाजिक सहमति से शुरू कर रही है, बल्कि उसे कानूनी जामा भी पहना रही है. सकारात्मक बदलाव यह आया है कि लोग शादी के […]
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : बीते दशक में सामाजिक परंपरा और उसकी बुनियाद में तेजी से बदलाव हो रहे हैं. दरअसल नयी पीढ़ी अपना विवाहित जीवन न केवल धार्मिक रीति रिवाज और सामाजिक सहमति से शुरू कर रही है, बल्कि उसे कानूनी जामा भी पहना रही है. सकारात्मक बदलाव यह आया है कि लोग शादी के रजिस्ट्रेशन के बाद विवाहिता को तमाम सामाजिक हक और कानूनी सुरक्षा देने को तैयार दिख रहे हैं. फिलहाल लोगों का रुझान सरकारी निबंधित विवाह कराने की तरफ भी तेजी से बढ़ा है.
लोग अब पारंपरिक रीति-रिवाज के बदले जिला निबंधन कार्यालय में जाकर कानूनी रूप से अपने विवाह को अमली जामा पहना रहे हैं. यही कारण है कि बीते एक दशक में अकेले पटना जिले में निबंधित शादी कराने के मामले दो गुना हो गये हैं. वहीं दूसरी तरफ पारंपरिक शादी के बाद भी लोग जिला निबंधन कार्यालय में जाकर निबंधन करा रहे हैं.
463 से बढ़ कर 1194 पहुंच गया आंकड़ा : जिला निबंधन कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों की बात करें, तो कार्यालय में तीन तरह के रिकॉर्डों को मेंटेन किया जाता है. इसमें पहले अविवाहित जोड़े जो शादी कराते हैं.
उसका रिकॉर्ड रखा जाता है. इसके बाद जो लोग शादी के बाद निबंधन कार्यालय में जाकर अपनी शादी को निबंधित कराते है, उसका रिकॉर्ड रखा जाता है. इसके बाद शहर और गांव में मुखिया व वार्ड पार्षद स्तर से भी शादी निबंधित होती है. उसका रिकॉर्ड बनाया जाता है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2009 में 463 अविवाहित जोड़ों ने शादी की थी, जबकि बीते वर्ष ये आंकड़ा 1194 हो गया. वहीं इस वर्ष बीते माह तक 931 लोगों ने शादी की है, अभी दो माह का आंकड़ा बाकी है.
विवाहित निबंधन के आंकड़े भी बढ़े : अविवाहित शादी और निबंधन कराने के बाद शादी निबंधित कराने के मामले में भी वृद्धि हुई है. वर्ष 2009 में कुल 383 लोगों ने शादी के बाद निबंधन कराया था. इसके बाद वर्ष 2017 में आंकड़ा 903 हो गया.
इसके साथ ही इस वर्ष अब तक 757 लोगों ने शादी के बाद निबंधन कराया है, जबकि इसमें भी दो माह का समय बाकी है. वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों के मुखिया और शहरी क्षेत्रों में वार्ड पार्षद की ओर से शादी निबंधित कराने की रफ्तार में कमी आ गयी है. इसमें वर्ष 2009 में 88 लोगों ने मुखिया व वार्ड पार्षद स्तर से निबंधन की अपील की थी. वहीं वर्ष 2017 में आंकड़ा मात्र 29 का रह गया, जबकि इस वर्ष अब तक इन लोगों के स्तर से कोई आवेदन या सत्यापन के मामले नहीं आये हैं.
क्यों निबंधन जरूरी
जिला निबंधन पदाधिकारी एसएन चौधरी बताते हैं कि शादी के सरकारी निबंधन आज के समय में काफी जरूरी हो गये हैं. नौकरी, सरकारी योजनाओं के लाभ, विदेश जाने के लिए पासपोर्ट, कानूनी आवश्यकता से लेकर कई जगहों पर निबंधन प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा सुरक्षित वैवाहिक जीवन के लिए भी यह काफी जरूरी है. विवाह के बाद भी निबंधन कराने में बहुत अधिक कागजों की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए लोगों को बाद में भी निबंधन करा लेना चाहिए.
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